जम्मू कश्मीर : वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को श्रीनृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है,श्रीनृसिंह जयंती के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया भगवान विष्णु ने श्रीनृसिंह अवतार लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था,इस वर्ष सन् 2022 ई. श्रीनृसिंह जयंती 14 मई शनिवार को मनाई जाएगी। भगवान श्रीनृसिंह श्रीहरि के चौथे अवतार माने जाते हैं। हमेशा की ही तरह विष्णु भगवान ने यह अवतार भी अपने भक्त के कल्याण के लिए ही धारण किया था। इसी दिन भगवान श्रीनृसिंह जी ने खंभे को चीरकर भक्त प्रह्लाद की रक्षार्थ अवतार लिया था। इसलिए इस दिन उनका जयंती-उत्सव मनाया जाता है ,उनका सर सिंह का था और शरीर मानव का था इसलिए उनका नाम नरसिंह था, नरसिंह शब्द का अर्थ है मानव सिंह, सर के साथ साथ उनके पंजे भी सिंह के थे। श्रीनृसिंह जयंती के दिन जो भी भक्त श्रीनृसिंह जी का व्रत करके इनकी कथा को पढ़ता या सुनता है तो उसके सभी पापों का अंत हो जाता है। सारे दु:ख दूर हो जाते हैं और मनमांगी सारी मुरादें पूरी हो जाती हैं।
इस विधि से करें श्रीनृसिंह जी का पूजन :-
शारीरिक शुद्धता के साथ ही मन की पवित्रता का भी ध्यान रखना चाहिए,इस दिन सुबह स्नान कर पूजा के कमरे या घर में किसी शुद्ध स्थान पूर्व में एक साफ चौकी पर पीला रंग का वस्त्र डाल कर श्रीगणेश एवं भगवान श्रीनृसिंह जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद पूरे कमरे में एवं चौकी पर गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के कलश (घड़े )में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें, उसमें उपस्तिथ देवी-देवता, नवग्रहों,तीर्थों, योगिनियों और नगर देवता की पूजा आराधना करनी चाहिए,इसके बाद पूजन का संकल्प लें और वैदिक मंत्रों द्वारा चौकी पर स्थापित समस्त देवी देवताओं की षोडशोपचार से पूजा करें। इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम् I
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम् II
ॐ नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः ।
ॐ श्री लक्ष्मीनृसिंहाय नम:।।
इन मंत्रों का जाप करने से समस्त दुखों का निवारण होता है तथा भगवान नृसिंह की कृपा प्राप्त होती है।
सूर्यास्त के दौरान भगवान श्रीनृसिंह जी का प्राकट्य हुआ था। इसलिए रात को और अगले दिन सुबह विसर्जन पूजा करें। विसर्जन पूजा और दान-दक्षिणा करने के बाद अगले दिन उपवास तोड़ा जाना चाहिए। इस दिन घर के आस पास जरूरतमंदों को यथाशक्ति कुछ ना कुछ दान अवश्य करें।
महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) अध्यक्ष श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत) संपर्कसूत्र :-9858293195,7006711011,9796293195