जम्मू कश्मीर :- चैत्र वासन्त नवरात्र इस वर्ष सन् 2022 ई.02 अप्रैल शनिवार से शुरू होंगे,इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कलश स्थापन,ज्योति प्रज्वलन करने तथा देवी दुर्गा की साख लगाने का शुभ मुहूर्त 02 अप्रैल सुबह 06:21 से सुबह 08:29 तक रहेगा।
आइये जानिए अपनी राशि अनुसार देवी दुर्गा के कौन से रूप ,क्या अर्पण और किन मंत्रो से पूजन करें।
मेष राशि :- शिव आराधना करें,स्कंद माता की विशेष पूजा करें,माता को लाल चंदन, लाल पुष्प और सफेद मिष्ठान अर्पण करें।
वृष राशि:- ॐ गं गणपतये नम:’ का जाप करें,माता के महागौरी स्वरुप की विशेष पूजा करें,पंच मेवा, सुपारी,सफेद चंदन,सफेद पुष्प चढ़ाएं।
मिथुन राशि :- श्री सूक्तम् का 11 पाठ रोज करें,माता ब्रह्मचारिणी रुप की पूजा करें,केला,पुष्प,धूप से माता की पूजा करें।
कर्क राशि :- श्रीगणेश चालीसा का पाठ करें,माता के शैलपुत्री रुप करा पूजन करें,सफेद बताशे,चावल,दूध,दही माता को अर्पण करें।
सिंह राशि :- आदित्यह्रदय स्तोत्र का पाठ करें, मां कुष्मांडा को विधि-विधान से पूजन करें, तांबे के पात्र में रोली, चंदन, केसर, कपूर से आरती करें।
कन्या राशि :- दुर्गा चालीसा के 7 पाठ रोज करें, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें,फल,गंगाजल मां को अर्पण करें।
तुला राशि :- रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें,माता के महागौरी स्वरुप का पूजन करें,दूध,दही,चावल,चुनरी चढ़ाएं और घी के दीपक से माता की आरती करें।
वृश्चिक :-शिव पूजन,रुद्राभिषेक करें,माता दुर्गा के स्कंदमाता रूप की पूजा करें,लाल, फूल, गुड, चावल और लाल चंदन के साथ माता पूजा करें।
धनु राशि :- गुरु चरित्र का पाठ करें,गुरु पूजन करें,माता के चंद्रघंटा रूप की पूजा करें,हल्दी, केला,केसर, पीले वस्त्र तिल का तेल, पीले फूल माता को अर्पण करें।
मकर :- गायत्री मंत्र का जाप करें,माता दुर्गा के कालरात्रि रूप का पूजन करें,सरसों का तेल का दिया, पुष्प, चावल, कुमकुम और सूजी का हलवा माता को अर्पण करें।
कुंभ राशि :- सुंदरकांड का पाठ करें, मां कालरात्रि का पूजन करें,पुष्प, कुमकुम, तेल का दीपक और ऋतु फल माता को अर्पण करें।
मीन राशि :- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ एवं माता बगलामुखी मंत्र का जाप करें,मां चंद्रघंटा का पूजन करें,हल्दी, दूध,चावल, पीले फूल और केले के साथ पूजन करें।
नवरात्रों के दिनों में किन बातों का खास ख्याल रखें।
नवरात्रों के दिनों में किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए,ब्रम्चार्य का पालन करना चाहिए,इन दिनों में शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए, व्रत रखने वालों को इस व्रत के दौरान दाढ़ी-मूंछ और बाल नाखून नहीं काटने चाहिए, व्रत करने वालों को पूजा के दौरान बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए,काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए,अगर नवरात्रि में कलश की स्थापना करते हैं और अखंड ज्योति जला रहे हैं तो इस समय घर को खाली छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहिए। इन दिनों में नींबू काटना अशुभ होता है। विष्णु पुराण के अनुसार मां दुर्गा के इन नौ दिनों में दोपहर के समय सोना नहीं चाहिए और रात्रि में भूमि पर सोना चाहिए इससे व्रत रखने का उचित फल नहीं मिलता। किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है। गलत काम करने से आपके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते है।
महंत रोहित शास्त्री ने बताया चैत्र नवरात्र का खास महत्व होता है क्योंकि 02 अप्रैल शनिवार चैत्र शुक्ल पक्ष भारतीय नववर्ष विक्रमी सम्वत 2079 ( नल नामक ) की शुरुआत होगी,इस सम्वत का शनि तथा मंत्री गुरु होंगे, चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत,भगवान झूलेलाल का जन्म, ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना, चैत्र नवरात्र के पहले ही दिन मां आदिशक्ति प्रकट हुई थीं, चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में पहला अवतार लेकर पृथ्वी की स्थापना की थी, इसके बाद भगवान विष्णु का सातवां अवतार जो भगवान राम का है वह भी चैत्र नवरात्र में हुआ था,गुरू अंगददेव प्रगटोत्सव: सिख परंपरा के द्वितीय गुरू का जन्म दिवस,समाज को श्रेष्ठ (आर्य) मार्ग पर ले जाने हेतु स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन को आर्य समाज स्थापना दिवस के रूप में चुना यही कारण है कि चैत्र नवरात्र का धार्मिक दृष्टि से खास महत्व है।
महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) प्रधान श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट(पंजीकृत) रायपुर ठठर जम्मू कश्मीर। संपर्कसूत्र 9858293195,7006711011,9796293195.ईमेल :rohitshastri.shastri1@gmail.com