नवरात्र कलश स्थापन,ज्योति प्रज्वलन करने तथा देवी दुर्गा की साख लगाने के लिए 02 अप्रैल शनिवार सुबह 06 बजकर 21 मिनट से सुबह 08 बजकर 29 मिनट तक का मध्य काल अधिक शुभ रहेगा।
जम्मू कश्मीर : इस वर्ष चैत्र वासन्त नवरात्र 02 अप्रैल शनिवार से प्रारंभ होकर 10 अप्रैल रविवार तक रहेगें।शनिवार 09 अप्रैल को श्रीदुर्गाष्टमी और 10 अप्रैल रविवार को श्रीदुर्गा नवमी एवं श्रीरामनवमी का पर्व मनाया जाएगा। अबकी बार नवरात्रि पूरे नौ दिनों की है। चैत्र वसंत नवरात्र के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया नवरात्र कलश स्थापन,ज्योति प्रज्वलन करने तथा देवी दुर्गा की साख लगाने का के लिए 02 अप्रैल शनिवार सुबह 06 बजकर 21 मिनट से सुबह 08 बजकर 29 मिनट तक का मध्य काल अधिक शुभ रहेगा। चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक यह व्रत किये जाते हैं,नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में मां भगवती के नौ रूपों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी की पूजा की जाती है।इस व्रत में नौ दिन तक भगवती दुर्गा का पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ स्वयं या विद्वान पण्डित जी से करवाना चाहिए।
चैत्र नवरात्रि 2022 की तिथियां इस प्रकार है :-
02 अप्रैल- नवरात्रि प्रतिपदा- मां शैलपुत्री पूजा और घटस्थापना
03 अप्रैल- नवरात्रि द्वितीया- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
04 अप्रैल- नवरात्रि तृतीया- मां चंद्रघंटा पूजा
05 अप्रैल- नवरात्रि चतुर्थी- मांकुष्मांडा पूजा
06 अप्रैल- नवरात्रि पंचमी- मां स्कंदमाता पूजा
07 अप्रैल- नवरात्रि षष्ठी- मां कात्यायनी पूजा
08 अप्रैल- नवरात्रि सप्तमी- मां कालरात्रि पूजा
09 अप्रैल- नवरात्रि अष्टमी- मां महागौरी
10 अप्रैल- नवरात्रि नवमी- मां सिद्धिदात्री , श्रीरामनवमी एवं श्रीदुर्गा नवमी।
देवीभागवत् में बताया गया है कि ‘शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता’ अर्थात- रविवार और सोमवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं, शनिवार और मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है, गुरुवार और शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर चढ़कर आती हैं,जबकि बुधवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं। इस बार चैत्र नवरात्र 02 अप्रैल यानी कि शनिवार से शुरू हो रहे हैं। तो मां दुर्गा इस बार घोड़े से आ रही हैं। घोड़ा युद्ध का प्रतीक माना जाता है। घोड़े पर देवी दुर्गा का आगमन शासन और सत्ता के लिए अशुभ माना गया है। इससे सरकार को विरोध का सामना करना पड़ता है और कुछ राज्यों में सत्ता परिवर्तन का योग बनता है।
तांन्त्रिकों व तंत्र-मंत्र में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिये नवरात्रों का समय अधिक उपयुक्त रहता है, गृहस्थ व्यक्ति भी इन दिनों में भगवती दुर्गा की पूजा आराधना कर अपनी आन्तरिक शक्तियों को जाग्रत करते है,इन दिनों में साधकों के साधन का फल व्यर्थ नहीं जाता है,इन दिनों में दान पुण्य का भी बहुत महत्व कहा गया है।
नवरात्रों के दिनों में किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए,इन दिनों में शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए, इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते है।
नवरात्रों के दौरान सेहत के अनुसार ही व्रत रखें इन दिनों में फल आदि का सेवन ज्यादा करें रोजाना सुबह और शाम को माँ दुर्गा का पाठ अवश्य करें ।
‘नल’ नाम विक्रमी नवसंवत् 2079 की शुरुआत होगी मंगलवार और इस नये साल के राजा शनि और मंत्री गुरु होंगे।
इन दिनों पूरा विश्व करोना नामक भयानक महामारी से ग्रस्त है। ऐसे में दुर्गा सप्तशती का यह मंत्र निरंतर जपने और हवन के साथ आहुति देने से चमत्कारी सिद्ध हो सकता है।
महामारी विनाश :
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
मंत्र जप संख्या 2100, हवन संख्या 1000, हवन सामग्री- घृत, चंदन।
महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य)
अध्यक्ष श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट(पंजीकृत)
संपर्कसूत्र :-9858293195,7006711011,9796293195