आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है।
जम्मू कश्मीर : फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी का व्रत सन् 2022 ई.14 मार्च सोमवार को है। एकादशी व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं,लेकिन जब तीन साल में एक बार अधिकमास (मलमास) आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।
आमलकी एकादशी तिथि प्रारम्भ : 13 मार्च 2022 रविवार को सुबह 10 बजकर 21 मिनट पर होगा और समापन 14 मार्च 2022 सोमवार को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट पर होगा। ऐसे में 14 मार्च सोमवार को उदया तिथि में आमलकी एकादशी व्रत रखना उत्तम है,और आमलकी एकादशी व्रत का पारण मुहूर्त 15 मार्च 2022 को सुबह 06 बजकर 36 मिनट से सुबह 08 बजकर 22 मिनट तक होगा।
धर्मग्रंथों के अनुसार है भगवान विष्णु जी को आंवले को पेड़ बहुत प्रिय है आंवले के पेड़ में ईश्वर का स्थान माना गया है। आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है।
एकादशी के व्रत को करने से व्रती को अश्वमेघ यज्ञ,जप,तप,तीर्थों में स्नान-दान से भी कई गुना शुभफल मिलता है। एकादशी का व्रत करने वाले व्रती को अपने चित, इंद्रियों और व्यवहार पर संयम रखना आवश्यक है। एकादशी व्रत जीवन में संतुलनता को कैसे बनाए रखना है सीखाता है । इस व्रत को करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में अर्थ और काम से ऊपर उठकर धर्म के मार्ग पर चलकर मोक्ष को प्राप्त करता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है। कोरोना महामारी के चलते घर में ही पूजन,स्नान एंव दान करें।
इस दिन जो व्यक्ति दान करता है वह सभी पापों का नाश करते हुए परमपद प्राप्त करता है। इस दिन ब्राह्माणों एवं जरूरतमंद लोगों को स्वर्ण,भूमि,फल,वस्त्र ,मिष्ठानादि,अन्न दान,विद्या, दान दक्षिणा एवं गौदान आदि यथाशक्ति दान करें।
इस दिन श्रीगणेश जी,श्रीलक्ष्मीनारायण,भगवान श्रीराम,भगवान श्रीकृष्ण जी तथा देवों के देव महादेव की भी पूजा की जाती है,श्री लक्ष्मीनारायण जी की कथा एवं आरती अवश्य करें अथवा कथा पक्का सुने,एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है,इसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नज़रिए से भी बहुत महत्त्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की अराधना को समर्पित होता है।व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। जो मनुष्य इस दिन भगवान श्रीलक्ष्मीनारायण जी की पूजा करता है उसको वैकुंठ की प्राप्ति अवश्य होती है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी के पावन दिन चावल एवं किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए ,इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं,इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है।
आयुर्वेद और विज्ञान के अनुसार आंवला का महत्व :-
आचार्य चरक के मुताबिक आंवला एक अमृत फल है, जो कई रोगों का नाश करने में सफल है। साथ ही विज्ञान के मुताबिक भी आंवला में विटामिन सी की बहुतायता होती है। जो कि इसे उबालने के बाद भी पूर्ण रूप से बना रहता है। यह आपके शरीर में कोषाणुओं के निर्माण को बढ़ाता है, जिससे शरीर स्वस्थ बना रहता है।
इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर ब्राह्मणों एवं ज़रूरतमंद लोगों को खिलाना चाहिए । भोजन के समय पूर्व दिशा की ओर मुंह रखें। शास्त्रों में बताया गया है कि भोजन के समय थाली में आंवले का पत्ता गिरे तो यह बहुत ही शुभ होता है। थाली में आंवले का पत्ता गिरने से यह माना जाता है कि आने वाले साल में व्यक्ति की सेहत अच्छी रहेगी।
महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) प्रधान श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट(पंजीकृत) रायपुर ठठर जम्मू कश्मीर।
संपर्कसूत्र 9858293195,7006711011,9796293195.ईमेल : rohitshastri.shastri1@gmail.com