विजया एकादशी व्रत स्मार्त 26 फरवरी शनिवार को
विजया एकादशी व्रत वैष्णव 27 फरवरी रविवार को
यदि आप अपने कार्य में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आप विजया एकादशी व्रत करे :- महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य।
जम्मू कश्मीर : फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजयाका व्रत रखा जाता है। एकादशी व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं,लेकिन जब तीन साल में एक बार अधिकमास (मलमास) आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।
विजया एकादशी तिथि प्रारम्भ 26 फरवरी 2022 को सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर होगा और समापन 27 मार्च 2022 को सुबह 08 बजकर 13 मिनट पर होगा।
इस वर्ष सन् 2022 ई. विजया एकादशी व्रत स्मार्त संप्रदाय (सामान्य गृहस्थी) के अनुसार 26 फरवरी शनिवार को रखें और वहीं वैष्णव संप्रदाय के लोग 27 फरवरी रविवार को विजया एकादशी का व्रत रखें।
नोट – जिन लोगों ने स्मार्त संप्रदाय के गुरुओं से दीक्षा ली है वे लोग 26 फरवरी को व्रत रखें।
जिन लोगों ने वैष्णव संप्रदाय के गुरुओं से दीक्षा ली है वे लोग 27 फरवरी को व्रत रखें।
वैष्णव : जिन लोगों ने वैष्णव संप्रदाय के गुरुओं से दीक्षा ली हो और गुरु से कंठी या तुलसी माला गले में ग्रहण करता है या मस्तक एवं गले पर चंदन या गोपी चन्दन, श्री खण्ड, त्रिपुण्ड्र, उर्द्धपुण्ड या विष्णुचरण आदि के चिन्ह् धारण किए हो ऐसे भक्तजन ही वैष्णव कहे जाते हैं।
फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार विजया एकादशी व्रत के पुण्य से श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की। तब से ही विजया एकादशी व्रत का महत्व और बढ़ गया। यदि आप अपने कार्य में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको विजया एकादशी व्रत,पूजन एव विजया एकादशी की कथा करना अवश्य करनी चाहिए। एकादशी के व्रत को करने से व्रती को अश्वमेघ यज्ञ,जप,तप,तीर्थों में स्नान-दान से भी कई गुना शुभफल मिलता है। एकादशी का व्रत करने वाले व्रती को अपने चित, इंद्रियों और व्यवहार पर संयम रखना आवश्यक है। एकादशी व्रत जीवन में संतुलनता को कैसे बनाए रखना है सीखाता है । इस व्रत को करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में अर्थ और काम से ऊपर उठकर धर्म के मार्ग पर चलकर मोक्ष को प्राप्त करता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है। कोरोना महामारी के चलते घर में ही पूजन,स्नान एंव दान करें।
इस दिन जो व्यक्ति दान करता है वह सभी पापों का नाश करते हुए परमपद प्राप्त करता है। इस दिन ब्राह्माणों एवं जरूरतमंद लोगों को स्वर्ण,भूमि,फल,वस्त्र ,मिष्ठानादि,अन्न दान,विद्या, दान दक्षिणा एवं गौदान आदि यथाशक्ति दान करें।
इस दिन श्रीगणेश जी,श्रीलक्ष्मीनारायण,भगवान श्रीराम,भगवान श्रीकृष्ण जी तथा देवों के देव महादेव की भी पूजा की जाती है,श्री लक्ष्मीनारायण जी की कथा एवं आरती अवश्य करें अथवा कथा पक्का सुने,एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है,इसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नज़रिए से भी बहुत महत्त्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की अराधना को समर्पित होता है।व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। जो मनुष्य इस दिन भगवान श्रीलक्ष्मीनारायण जी की पूजा करता है उसको वैकुंठ की प्राप्ति अवश्य होती है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी के पावन दिन चावल एवं किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए ,इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं,इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है।
महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य)
अध्यक्ष श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट(पंजीकृत)पिन 181123*
संपर्कसूत्र :-9858293195,7006711011,9796293195ईमेल.rohitshastri.shastri1@gmail.com.*