महाशिवरात्रि पर बन रहा है परिघ एवं शिव योग ।
अपनी राशि के अनुसार शिव पूजा,दान एवं मंत्र जप करें
शिव की अराधना इच्छा-शक्ति को मज़बूत करती है और अन्तःकरण में अदम्य साहस व दृढ़ता का संचार करती है।
जम्मू कश्मीर :- फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन श्रीमहाशिवरात्रि मनाई जाती है महाशिवरात्रि शिव भक्तों के लिये विशेष महत्व रखती हैं। श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष (ज्योतिषाचार्य) महंत रोहित शास्त्री ने महाशिवरात्रि के विषय में बताया शिवभक्तों का सबसे बड़ा त्योहार महाशिवरात्रि है। इस त्योहार का भक्तगण पूरे साल इंतजार करते हैं और महाशिवरात्रि के दिन सुबह से ही शिव मंदिरों में जुटने लगते हैं। इस वर्ष सन् 2022 ई. को महाशिवरात्रि का पर्व 01 मार्च मंगलवार को मनाया जाएगा।ज्योतिष शास्त्र के दृष्टिकोण से शिवरात्रि पर्व चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ अर्थात स्वयं शिव ही हैं। इसलिए प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासशिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है। पर उन सभी में सबसे महत्वपूर्ण फाल्गुन कृष्ण पक्ष की महाशिवरात्रि होती है,फाल्गुन माह की शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था और इसी दिन ही भगवान शिव की लिंग रूप में उत्पत्ति हुई थी। ज्योतिष शास्त्रों में इस तिथि को अत्यंत शुभ बताया गया है। महाशिवरात्रि के दिन सुबह 11 बजकर 17 मिनट तक परिघ योग रहेगा उसके बाद शिव योग शरू होगा और वह अगले दिन 02 मार्च सुबह 08 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। परिघ योग में शिव पूजन करने से शत्रु परास्त होते हैं और शिव योग मांगलिक कार्यों के लिए शुभ होता है। इस योग में आप कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं।
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 01 मार्च को सुबह 03:17 से शुरू हो रही है, जो 01 मार्च देर रात 01:05 बजे तक है।
शिवरात्रि पूजा मुहूर्त निशीथ काल पूजा मुहूर्त = 24:07 से 24:57 बजे।
शिवरात्रि व्रत पारण समय = सुबह 06:35 से 15:03 बजे (02 मार्च 2022,बुधवार)
01 मार्च मंगलवार रात्रि के समय भगवान शिव का पूजन एक से चार बार किया जाएगा। यह भक्तों पर निर्भर करता है कि वे किस तरह महादेव की पूजा करना चाहते हैं।
रात्रि पहले प्रहर पूजा का समय : शाम 6:22 से 9:27 तक।
रात के दूसरा प्रहर में पूजा का समय : रात 9:29 से रात 12:30 तक।
तीसरा प्रहर पूजा का समय रात 12:31 से 03:31 तक।
चौथा प्रहर पूजा का समय = 03:31 से 06:33 तक।
विधिपूर्वक व्रत रखने पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, फूल, शुद्ध वस्त्र, बिल्व पत्र, धूप, दीप, नैवेध, चंदन का लेप, ऋतुफल , आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग को अर्पित किये जाते है।
महाशिवरात्रि को शिवपूजन शिवपुराण,रुद्राभिषेक,शिव कथा, शिव स्तोत्रों व “ॐ नम: शिवाय” का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं।
महंत रोहित शास्त्री ने बताया महाशिवरात्रि का व्रत मोक्ष की प्राप्ति होती है शिव पूजा सभी पापों का क्षय करने वाला है।
महिलाओं के लिए शिवरात्रि का विशेष महत्व है। अविवाहित महिलाएं भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं कि उन्हें उनके जैसा ही पति मिले। वहीं विवाहित महिलाएं अपने पति और परिवार के लिए मंगल कामना करती हैं।
महाशिवरात्रि के व्रत को रखने वालों को उपवास के पूरे दिन भगवान शिव शंकर का ध्यान करना चाहिए। प्रात: स्नान करने के बाद भस्म का तिलक कर रुद्राक्ष की माला धारण की जाती है।
अगर शिव मंदिर में पूजन,जाप करना संभव न हों, तो घर में, किसी शान्त स्थान पर जाकर पूजन, जाप किया जा सकता हैं।
शिव की आराधना इच्छा-शक्ति को मज़बूत करती है और अन्तःकरण में अदम्य साहस व दृढ़ता का संचार करती है।
इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि भोलेनाथ पर चढ़ाया गया प्रसाद न खाएं,अगर शिव की मूर्ति के पास शालीग्राम हो,तो प्रसाद खाने में कोई दोष नहीं होता।
राशि अनुसार शिव पूजा :-
महाशिवरात्रि, प्रतिदिन या प्रत्येक सोमवार को करने से समस्त शिव भक्तो को उत्तम लाभ और संतोष की प्राप्तिहोगी ।
मेष राशि
मेष राशि के शिव भक्त के जल में गुड़,गन्ने का रस अथवा शहद मिलाकर भोले का अभिषेक करें अभिषेक के बाद लाल चंदन से शिवलिंग पर तिलक करें और लाल चंदन से यथासंभव बेलपत्र पर ॐ नमः शिवाय लिख कर बेलपत्र शिव को अर्पित करें साथ में लाल पुष्प भी ॐ नमः शिवाय का जप करें 11 ब्राह्मणों शिवपुराण दान दे।
वृष राशि
वृष राशि – इस राशि के शिव भक्त गाय के दूध ,दही शिव का अभिषेक करें,इसके अलावा भगवान शिव जी को चावल, सफेद चंदन, सफेद आक,सफेद वस्त्र
और चमेली फूल भी चढ़ाने चाहिए और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। वेदपाठी 11 ब्राह्मणों को रूद्राक्ष माला दान करें।
मिथुन राशि
मिथुन राशि -इस राशि के शिव भक्त भगवान शिव को गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें,भगवान शिव को बेल पत्र शमी पत्र के अलावा साबुत हरे मूंग,भाँग, दूर्वा और कुश भी अर्पित करें।इस राशि के शिव भक्त शिव चालीसा का पाठ करें एवं 11शिव चालीसा शिव मंदिर में चढ़ाये।
कर्क राशि
कर्क राशि के शिव भक्त भोलेनाथ शिव का दूध, दही और देसी घी से अभिषेक करें और सफ़ेद चन्दन से तिलक लगाते हुए साबुत अक्षत,सफ़ेद गुलाब का फूल और शंखपुष्पी भी चढ़ावें। शिवाष्टक के 11 पाठ करें साथ में शिव भक्तों को सफ़ेद वस्त्र दान करें।
सिंह राशि
सिंह राशि के शिव भक्त जल में गुड़,लाल चंदन और शहद डाल कर भगवान शिव का अभिषेक करें।लाल पुष्प, लाल चंदन का तिलक भगवान शिव को लगाये। गुड़ और चावल से बनी खीर शिव मंदिर में प्रसाद बांट दें,शिव महिम्न स्तोत्र के पाठ करें। कमलगट्टे की 11 माला दान करें।
कन्या राशि
कन्या राशि के शिव भक्तों को गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें,भोलेनाथ जी को पान बेल पत्र, धतूरा, भांग एवं दुर्वा चढ़ाएं।शिव पुराण की कथा का वाचन या सुने।
तुला राशि
तुला राशि के शिव भक्त चमेली के तेल,दही, ईत्र, घी, दूध से शिव का अभिषेक करें,सफ़ेद चंदन का तिलक लगाएं,सफ़ेद वस्त्र दान करें मिश्री और खीर का प्रसाद भगवान शिव जी को चढ़ाएं एवं शिव मंदिर में दान करें,शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करें।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के शिव भक्त जल में गुड़,लाल चंदन और शहद मिलाकर और पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करें,केसर एवं लाल पुष्प भगवान शिव को अर्पित करें, लाल हलवे का भोग लगाएं एवं दान करें। भगवान शिव के 1000 नामों का स्मरण रहे।
धनु राशि
धनु राशि के शिव भक्त दूध में केसर, हल्दी एवं शहद मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करे।केसर,पीले चन्दन का तिलक लगाते हुए पीले गेंदे के फूलो की माला अर्पित करें।शिवमंदिर में पीले रंग के वस्त्र दान करें। शिव पंचाक्षर स्त्रोत का पाठ करें।
मकर राशि
मकर राशि के शिव भक्त के जल में दूध या गेहूं मिला कर शिव पर अर्पित करें,तिल के तेल नीले पुष्प भोले नाथ जी को अर्पित करें, शिव मंदिर में नीले वस्त्र दान करें,भगवान शिव के 108 नामों का स्मरण करें।
कुम्भ राशि
कुम्भ राशि के शिव भक्त नारियल के पानी या तिल के तेल से रुद्राभिषेक करें,शमी वृक्ष के पुष्प भगवान शिव को अर्पित करे,शिवाष्टक का पाठ करें।
मीन राशि
मीन राशि के शिव भक्त केसर मिश्रित जल से जलाभिषेक करना चाहिए। शिव जी की पूजा पंचामृत, दही, दूध और पीले पुष्प से करनी चाहिए। ॐ नमः शिवाय का जाप करे। शिव चालीसा का पाठ करना भी शुभ रहेगा।
भगवान शिव की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) प्रधान श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट(पंजीकृत) रायपुर ठठर जम्मू कश्मीर। संपर्कसूत्र 9858293195,7006711011,9796293195.ईमेल :rohitshastri.shastri1@gmail.com