चंद्र ग्रहण 26 मई 2021 बुधवार को दोपहर के 2:18 से शुरू होकर रात के 7:19 पर खत्म हो जाएगा इस ग्रहण का सर्वाधिक प्रभाव कालीन समय होगा शाम के 4:43 से 4:54 तक यह पूर्ण चंद्रग्रहण है लेकिन यह भारत में दर्शनीय नहीं होगा इसीलिए इसका सूतक नहीं लगेगा और सूतक का पालन करना जरूरी नहीं है।
साधक संप्रदाय हमेशा ही ग्रहण को साधना के लिए महत्वपूर्ण मानती आई है ,इसका कारण यह है की सामान्य मंत्र जाप मैं जितना फल प्राप्त होता है उसे कई गुना ज्यादा फल ग्रहण काल में मंत्र जाप में मिलता है ग्रहण काल में मंत्र जाप करने के दौरान देवी देवताओं को स्पर्श नहीं करना चाहिए कोई भोग नहीं लगाना चाहिए क्योंकि वह भोग आप नहीं खा सकते हैं और ना ही वह भोग फेंक सकते हैं, क्योंकि कुछ ग्रहण में नकारात्मक ऊर्जा बहुत प्रबल होती है इसीलिए ग्रहण शुरू होने से पहले संकल्प के लिए जल मंत्र जाप के लिए माला साधना के वस्त्र आसन ।ग्रहण शुरू होने से पहले ही अलग करके रखना चाहिए और ग्रहण काल में इन सारी चीजों को पूजा घर से या भगवान के पास से नहीं लाना चाहिये।
ग्रहण में क्या साधना करें- मंत्र जाप साधक भी करते हैं और तांत्रिक भी करते हैं इसीलिए साधना भी दोनों के अलग होंगे
साधक को चाहिए कि वह अपने गुरु मंत्र का जाप करें अगर उसे कोई विशेष आपूर्ति के लिए कुछ ना करना हो तो साथ में साधक अपना ईष्ट का मूल मंत्र या दीक्षा मंत्र का भी जाप कर सकता है। गुरु कवच या ईष्ट कवच का पाठ करें तो कवच सिद्धि प्राप्त होगा कवच और ज्यादा मजबूत होगा और भविष्य में ज्यादा सुरक्षा प्राप्त होगा ।
जो व्यक्ति तांत्रिक है लोगों के काम करते हैं उनको इस क्रम में जिस मंत्र से वह लोगों का काम करते हैं या करने की इच्छा रखते हैं ,उस मंत्र का जाप करना चाहिए और उसको और ज्यादा प्रभावशाली बनाना चाहिए ताकि भविष्य में जो भी काम उस मंत्र से निकाना हो तो वह काम उनका सफलतापूर्वक संपन्न हो अगर किसी को उनके गुरुद्वारा कोई नया दीक्षा मिला हुआ है और उस दीक्षा का मंत्र जाप करना बाकी है तो ग्रहण काल में उस मंत्र का भी वह जाप कर सकते हैं।
एक आम व्यक्ति जो ना तो कोई साधक है ना ही तांत्रिक वह इस ग्रहण में लक्ष्मी बीज मंत्र का अपनी क्षमता अनुसार जितना हो सके जाप करें ।अपने कुलदेवी कुलदेवता का मंत्र जाप किया जा सकता है अपने घर पर रखा कोई भी देवता का मंत्र जाप कर सकते हैं।