जयश्रीराम🙏🙏

देखनेका दृष्टिकोण

कुछ सज्जनो ने ये तस्वीर भेजी कोई ढोंग कोई ईश्वर का अपमान कोई हिन्दुव का अपमान बोले जा रहा है कुछ मित्रो ने मेरी राय मांगी इसपर चलिये जरा एक बार जोश नही बुद्धिमत्ता से देखे

ढोंगया सच्ची_भक्ति

आप जिस मूर्ति की पूजा करते है तो उसको सजीव मानकर करते है भाव ही तो है जो पत्थर को भगवान बनाते है,अगर आपके अंदर भाव है तो उनको भी सर्दी गर्मी और भूख लगती हैं

अबजरा एकपहलू परविचार करे

भगवान खाते नहीं फिर भी नैवेद्य चढाते है
नहलाते है कपडे पहनाते है धुप दीप अगरबत्ती जलाते है पलने मे झुलाते है ये
आप 56 भोग लगाते है किसलिये क्या भगवान खाते है नही वो भाव है क्योंकि मूर्तियों को सजीव मानते हैं ये सब हमारी श्रद्धा है हम भगवान को सिर्फ मुर्ति के रूप मे नही देखते उन्हें जिवित समझकर सुख दुःख से जुडे होते है

येसनातनी प्रेमभक्ति हैं

आज भी पुरी धाम में जगन्नाथ को रथयात्रा के पूर्व कुछ अधिक स्नान कराया जाता है जिससे #श्रीजगन्नाथजी बीमार हो जाते हैं। पंद्रह दिन तक दर्शन बंद हो जाते हैं।#श्रीठाकुरजी को दिन में तीन समय औषधि पिलाई जाती है
कभी #मीरा चरित्र पढ़े मालुम पडेगा भक्ति क्या होती हैं जिसे आप ढोंग कह रहे हो वह सच्ची भक्ति है मीरा की तरह सच्चा प्रेम करने वाले को भगवान का आशिर्वाद मिलता है ये सनातनी प्रेम-भाव भक्ति है। सगुण साकार भगवान की सेवा पूजा ऐसे ही की जाती है

येभक्तिभाव है ढोंग_नहीं

ये यह पाखंड नहीं यह भक्ति का भाव होता है कि प्रभु को ठंड लग रही होगी प्रभु को गर्म कपड़े देने होंगे प्रभु को गर्मी लग रही होगी हम इसी में ठंड का आनंद ले रहे हैं और प्रभु गर्मी में पड़े हैं उन्हें भी ठंड के व्यवस्था की जाए उनके लिए 56 प्रकार के भोजन की व्यवस्था की जाए रात्रि में सोने की व्यवस्था की जाए दरअसल जब हम मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर देते हैं तो उसके बाद उस मूर्ति में जीवन का संचार हो जाता है और प्रभु के स्वरूप को हम जिस भाव से देखते हैं उसी भाव से हमारे मन की भक्ति बढ़ती है

उदाहरण_स्वरुप पितृपक्ष में आप अपने पितृ को तर्पण करते हैअलग से रात में भोजन रखने है क्या वो आकर खाते है क्या कौवा खाता हैं तो उनको मिल जाता है नही न इसी को श्रद्धा कहते है ये ईश्वरीय है ढोंग नही

इसमेंक्या गलत_है

भगवान को अच्छे से सुला ही तो रहे हैं किसी बेजुबान का खून तो बहा नही रहे क्या दिक्कत है इंसमे?

सनातन_धर्म में लोग भगवान को अपने परिवार का मुखिया मानते हैं भगवान को रोज स्नान कराते हैं,सुबह से जो खाना बनता है पहली थाली भगवान के पास जाती है

त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बंधु च सखा त्वमेव।

इसे जड़बुद्धि, मूढ़मति और मायावादी लोग नहीं समझ सकते

🚩🚩#जय_सनातन🚩🚩

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