त्राटक के बारे में सिर्फ इतना ही कह सकते है की ये एक तरह की शुरुआती और सब से कारगर विधि है जो लोग द्यान की गहराइयों और अनुभव करना चाहते और सिद्धियों को शरीर में अनुभव करना चाहते है उन्हें विशेषतौर पर एक बार इसे अजमाना चाहिए
आधुनिकीकरण के इस जमाने में मानव के जीवन में तनाव, अवसाद, अशांति, नकारात्मक विचार भी शामिल हो गए है. कई तरह की रिसर्चे सामने आई है जिनसे पता चला है की मानव कई सारी उर्जा और समय अनावश्यक विचारो को सोचने में लगा देता है. ऐसी स्थिति में त्राटक साधना द्वारा वह अपने विचारो और उर्जा को सही दिशा प्रदान कर सकता है. इस मेडिटेशन से आप अनचाहे और नकारत्मक विचारो को अपने जीवन से बाहर फेंक पायेंगे. त्राटक क्रिया से आपका फोकस बढेगा, अशांति दूर होगी और आप तनावमुक्त जीवन जी पाओगे.
त्राटक की पूरी विधि
त्राटक क्रिया ध्यान की एक विशेष प्रक्रिया जिसमे दीपक की ज्योति दृष्टि के समानांतर होती है और दूरी कोई तीन फुट के आसपास। पद्मासन, सिद्धासन या सुखासन में सुविधानुसार बैठें। किसी कागज पर बनाये चवन्नीभर गोल काले धब्बे को अथवा ‘ॐ’ लिखे कागज को सामने 3-4 फुट की दूरी पर आंखों के समानांतर दीवार पर लटका दें या सरसों के तेल या शुद्ध घी का दीपक जलाकर सामने रखें। दीपक ऐसे स्थान पर रखें, जहां उसकी लौ हवा में डगमगाए नहीं। उस बिंदु को या दीपक की लौ को अपलक (पलकों को बिना झपकाये) दृष्टि से देखते रहें। जब नेत्रों में जलन होने लगे या पानी आ जाये, तो आंखें बंद कर लें। त्राटक करते समय दृष्टि तथा ध्यान दोनों उसी पदार्थ में रहे, तभी त्राटक में सफलता होगी। त्राटक का समय धीरेधीरे बढायें। इसे कई घंटे भी किया जा सकता है। इसमें आंखों को ज्यादा फैलाकर नहीं देखना बल्कि आंखें हल्की-सी खुली रखनी हैं। आंखों की मांसपेशियां ढीली रहेंगी।
लाभ
त्राटक मेडिटेशन का प्रयोग वैसे तो ज्यादातर आध्यात्मिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किया जाता है लेकिन इसके अलावा भी इस योग के कई लाभ होते है. जिनका मन बहुत चंचल होता है, मन में हर समय तरह तरह के विचार आते है, जो मन को एकाग्रचित नहीं रख पाते. उनके लिए त्राटक साधना बहुत उत्तम होती है. त्राटक साधना से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है. त्राटक मेडिटेशन का इस्तेमाल अपनी याददाश्त और फोकस पॉवर बढ़ाने के लिए किया जाता है. यह योग आँखों के लिए भी बहुत अच्छा होता है और इससे आँखों की रौशनी बढती है. नेत्र संबंधी रोगों को ठीक करता है. मन को शांत रखता है. जिन लोगो का मन अशांत रहता है उनके लिए ये बहुत लाभदायक होता है.
त्राटक साधना तीन प्रकार के होतें है
- इनर त्राटक
यह साधना आँखों को बंद करके की जाती है. इस मेडिटेशन में आपको अपने अन्दर ही ध्यान एकाग्र करना होता है. इसमें पीठ को सीधा रखते हुए बैठ जाए और अपनी तीसरी आँख (दोनों आँखों के बीच का हिस्सा) पर फोकस करना होता है. इससे आपको तीसरी आँख में थोडा दर्द अनुभव होगा जो की समय के साथ धीरे धीरे गायब होता जायेगा. यह मैडिटेशन नकारात्मक विचारो को दूर करने, बुधिमत्ता बढ़ाने में उपयोगी होता है. - मिडिल त्राटक
त्राटक मेडिटेशन में आपको अपनी आँखों को खुला रखना होता है. इसमें आपको किसी मोमबत्ती या लैंप फ्लेम या किसी बिंदु पर बिना पलके झपकाए ध्यान केन्द्रित करना होता है. इससे आपकी आँखों को थोडा जलन का अनुभव हो सकता है. इसमें बाधा पहुचने पर आप इसे बंद करके दोबारा ध्यान चालु कर सकते है. इसके नियमित अभ्यास से आँखों में कम जलन होना शुरू हो जाता है. इससे आपकी आँखों की रोशनी बढती है और स्मरण शक्ति तेज होती है. यह साधना ध्यान लगाने वाली वस्तु को अपनी आँखों से लगभग बीस बाईस इंच की दुरी पर रखकर की जानी चाहिए.
आउटर त्राटक
इस साधना में चाँद सूरज या सितारों को देखकर ध्यान केन्द्रित किया जाता है. यह दोपहर या रात के समय किया जा सकता है. यह मन को शांत रखता है, एकाग्रता बढ़ाता है. मानसिक विकारो को दूर करता है.
कृपया इस बात पर द्यान रखें
- त्राटक के लिए किसी अँधेरे या शांत कमरे का चुनाव कीजिये,
- अपनी रीढ़ की हड्डी और शरीर को सीधा करते हुए बैठ जाइये, इनर त्राटक के लिए अपनी आँखों को बंद कीजिये और अपनी तीसरी आँख पर ध्यान केन्द्रित कीजिये और मिडिल त्राटक के लिए किसी वस्तु जैसे की मोमबत्ती या लैंप फ्लेम को 25 या 30 इंच की दुरी पर अपने आँखों के समानांतर ही रखिये और इस पर ध्यान केन्द्रित कीजिये यानी की लगातार देखना है
- आउटर त्राटक के लिए छत पर बेठकर उगते चाँद या सूरज को देखिये.
- बेवजह तकलीफ उठा कर ना है करें तो अच्छा है
- किसी योग्य अनुभवी से अपने अनुभव साँझा करें , क्योंकि देखने में आया है कुछ को बहोत बुरे बुरे अनुभव भी होते है
- गोपनीयता बनायें रखें केवल साधकों से ही विचारविमर्श करें
जय श्री हरी :