सुर्यदेव की पूजा से होगीं सभी चिंताए दूर

हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार सूर्य देव को जगत की आत्मा माना जाता है। सूर्य देव ही पृथ्वीं पर अंधकार का नाश करते हैं। सूर्य के बिना पृथ्वीं पर जीवन संभव ही नही है। चंद्रमा और सूर्य दोनों ही ऐसे देवता है जिन्हें प्रत्यक्ष रुप से देखा जा सकता है। सूर्य पद-प्रतिष्ठा, नौकरी, कीर्ति, धन आदि का कारक होता है।

सूर्यदेव को आरोग्य का देवता माना जाता है। सूर्यदेव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करके जीवन में सफलता, मानसिक शांति पायी जा सकती है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के अन्दर शक्ति का संचार होता है।

सूर्य देव की पूजा विधि

भगवान सूर्य की पूजा में अर्घ्यदान का विशेष महत्व बताया गया है। रविवार के दिन प्रात:काल में तांबे के लोटे में जल लेकर और उसमें लाल फूल, चावल डालकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इस अर्घ्यदान से भगवान सूर्य प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, यश, विद्या, वैभव और सौभाग्य को प्रदान करते हैं।

रविवार का व्रत समस्त पापों का नाश करने वाला माना गया है। इस दिन सूर्यदेव का पूजन-अर्चन करने का महत्व है। इस व्रत को करने से मनुष्‍य के जीवन के सभी कष्ट नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य जीवन के सभी सुखों का भोग करने का अधिकारी बन जाता है। आइए जानें कैसे करें व्रत…

  • पौराणिक ग्रंथों में रविवार के व्रत को समस्त पापों का नाश करने वाला माना गया है।
  • अच्छे स्वास्थ्य व घर में समृद्धि की कामना के लिए भी रविवार का व्रत किया जाता है।
  • इस व्रत के दिन सूर्यदेव की पूजा की जाती है।
  • पूजा के बाद भगवान सूर्यदेव को याद करते हुए ही तेलरहित भोजन करना चाहिए।
  • 1 वर्ष तक नियमित रूप से उपवास रखने के पश्चात व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
  • मान्यता है कि इस उपवास को करने से उपासक जीवनपर्यंत तमाम सुखों को भोगता है व मृत्यु पश्चात सूर्यलोक में गमन कर मोक्ष को पाता है।
    [11/3, 14:42] Rahikapoor: जानिए भैरव बाबा के छोटे छोटे मंत्र जो आपकी मनोकामना पूर्ण कर जीवन सुगम बनाते है।

भैरव भय को नष्ट करने वाले देवता है।भैरव के आठ प्रमुख रूप होते है।किसी भी रूप की साधना बना सकती है आपको महाबलशाली।भैरव की सौम्य रूप में साधना पूजा करनी चाहिए। भैरव देवता पूरे परिवार की रक्षा करते हैं।और काले वस्त्र और नारियल चढाने से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। कुत्ता भैरव जी का वाहन है।भैरव जी को प्रसन्न करने के लिए कुत्तों को भोजन अवश्य खिलाना चाहिए।
भैरव के मन्त्रों से होता है सारे दुखों का नाश।आइये जानते है कि कौन कौन से मन्त्र से क्या क्या होता है।
(1)भय नाशक मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय भयं हन।
उरद की दाल भैरव जी को अर्पित करें।पुष्प,अक्षत,धूप दीप से पूजन करें।रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जपकरें। और दक्षिण दिशा की और मुख रखें।
(2)शत्रु नाशक मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शत्रु नाशं कुरु।
नारियल काले वस्त्र में लपेट कर भैरव जी को अर्पित करें।
गुगुल की धूनी जलाएं।रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें।पश्चिम कि और मुख रखें।
(3)जादू टोना नाशक मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय।
आटे के तीन दिये जलाएं।कपूर से आरती करें।रुद्राक्ष की माला से 7 माला का मंत्र जप करें।दक्षिण की और मुख रखे।
(4)प्रतियोगिता इंटरवियु में सफलता का मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय साफल्यं देहि देहि स्वाहा:।
बेसन का हलवा प्रसाद रूप में बना कर चढ़ाएं।एक अखंड दीपक जला कर रखें।रुद्राक्ष की मलका से 8 माला का मंत्र जप करें।पूर्व की और मुख रखें।
(5)बच्चों की रक्षा का मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रक्ष रक्ष
मीठी रोटी का भोग लगायें।दो नारियल भैरव जी को अर्पित करें।रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें।पश्चिम की ओर मुख रखें।
(6)लम्बी आयु का मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय रुरु स्वरूपाय स्वाहा:।
काले कपडे का दान करें।गरीबों को भोजन खिलाये।कुतों को रोटिया खिलाएं।रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें।पूर्व की ओर मुख रखें।
(7)बल प्रदाता मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शौर्यं प्रयच्छ।
काले रंग के कुते को पालने से भैरव प्रसन्न होते हैं।कुमकुम मिला लाल जल बहिरव को अर्पित करना चाहिए।काले कम्बल के आसन पर इस मंत्र को जपें।रुद्राक्ष की माला से 7 माला मंत्र जप करें।उत्तर की ओर मुख रखें।
(8)सुरक्षा कवच का मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय बज्र कवचाय हुम।
भैरव जी को पञ्च मेवा अर्पित करें।कन्याओं को दक्षिणा दें।रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करे।पूर्व की ओर मुख रखें।।

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