तम्देह पर्व एवं आषाढ़ संक्रांति 15 जून बुधवार को :- महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य।

जम्मू कश्मीर : डुग्गर प्रदेश में विशेष महत्व रखने वाला (तम्देह) पर्व 15 जून बुधवार को आषाढ़ संक्रांति के दिन पारंपरिक रीति रिवाजों व श्रद्धाभाव से मनाया जाएगा,इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने बताया डुग्गर प्रदेश में तम्देह पर्व एवं आषाढ़ संक्रांति का बहुत बड़ा महत्व है,सूर्य देव बूधवार 15 जून को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगें,आषाढ़ माह में सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करते है उसके बाद आषाढ़ महीना प्रारंभ हो जाता है। बुधवार 15 जून दोपहर 12 बजकर 02 मिनट पर सूर्यदेव का मिथुन राशि में प्रवेश होगा , 30 मु. इस संक्रांति का पुण्यकाल 15 जून सुबह 05 बजकर 38 मिनट से मध्यान्ह्न 02 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।

इस दिन पवित्र नदियों,सरोवर में स्नान एवं दान-पुण्य के लिये बड़ा अच्छा माना गया है,कोरोना महामारी के चलते घर में ही पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें,इस दिन लोग विवाहिता बेटीयो,कुल पुरोहित एवं ब्राह्माणों को भोजन,छाता, खडाऊँ,आँवले,आम,खरबूजे,वस्त्र, पानी का भरा घड़ा,पंखा, मिष्ठान,दक्षिणा सहित यथाशक्ति दान कर एक समय भोजन करना चाहिए,लोग मीठे पानी की छबीलें भी लगाते हैं,महामारी के चलते छबीलें नहीं लग सकती है और मान्यता है कि इस दिन पानी आदि का दान करने से पूर्वजों को भी पानी आदि प्राप्त होता है और उनका आशीर्वाद मिलता है,और अगले जन्म में गर्मी के समय उन्हें भी इन चीजों का सुख मिलेगा और आषाढ़ संक्रांति (तम्देह) के दिन किया गया दान अन्य शुभ दिनों की तुलना में दस गुना अधिक पुण्य देने वाला होता है। इस दिन ब्राह्मणों एवं ज़रूरतमंद लोगो को भी दान देना चाहिए।

किसानों के अनुसार,धर्म दिहाड़ा पर सही मायनों में देसी आम पकने का संकेत है। लू की गर्मी के बाद इस माह से बरसात शुरू हो जाती है और उमस में इजाफा हो जाता है।

संक्रांति के दिनों में किन बातों का खास ख्याल रखें

संक्रांति के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए,ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए।इस दिन कुछ लोग व्रत रखते हैं व्रत रखने वालों को इस व्रत के दौरान दाढ़ी-मूंछ और बाल नाखून नहीं काटने चाहिए, व्रत करने वालों को इस दिन बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए,काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए,किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है। गलत काम करने से आपके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते है। संक्रांति के दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है और भगवान को भी इन्हीं चीजों का भोग लगाया जाता है । इस दिन सत्यनारायण जी,सूर्य देव,कुलदेवी देवताओं अपने इष्टदेव की पूजा का विधान है ।

संक्रांति का फल :

इस संक्रांति के बाद कुछ स्थानों पर भूकम्प, प्राकृतिक प्रकोप,कुछ राज्यों के लिए केन्द्र सरकार बड़े फैसले ले सकती है,राजनैतिक अस्थिरता,आरोप प्रत्यारोप का वातावरण रहेगा। राजनेताओं एवं दुष्ट लोगों के लिए यह संक्रांति लाभप्रद रहेगी। किसी बड़ी महान हस्ती की अचानक मृत्यु होगी, वर्षा अधिक होगी, तूफ़ान से नुकसान होगा।

संक्रांति राशि फल = वृष, मिथुन, कर्क, कन्या,वृश्चिक, धनु, मकर एवं मीन राशि वालों के लिए यह संक्रांति लाभदायक सिद्ध होगी।

महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) अध्यक्ष श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत) संपर्कसूत्र :-9858293195,7006711011,9796293195

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