व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है।
जम्मू कश्मीर : वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की वरूथिनी एकादशी का व्रत सन् 2022 ई. 26 अप्रैल मंगलवार को है। एकादशी व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं,लेकिन जब तीन साल में एक बार अधिकमास (मलमास) आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।
सूर्योदय व्यापिनी वरुथिनी एकादशी तिथि 26 अप्रैल मंगलवार होने के कारण वरुथिनी एकादशी का व्रत 26 अप्रैल मंगलवार को ही होगा, वरुथिनी एकादशी व्रत पारण का समय 27 अप्रैल बुधवार को सुबह 05 बजकर 42 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। मंगलवार 26 अप्रैल को श्रीवल्लभाचार्य जी जन्मोत्सव भी मनाया जायेगा।
धर्मग्रंथों के अनुसार वैशाख मास कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली वरूथिनी एकादशी पर विधि पूर्वक पूजा करने और व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जिन लोगों के जीवन में मृत तुल्य कष्ट बन हुआ है,उनके कष्ट दूर होते हैं और विष्णु भगवान जी हर संकट से भक्तों की रक्षा करते हैं,व्रती को अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है। जो भी व्यक्ति ये व्रत रखता है उसके सारे पाप नष्ट का हो जाते है।
एकादशी का व्रत करने वाले व्रती को अपने चित, इंद्रियों और व्यवहार पर संयम रखना आवश्यक है। एकादशी व्रत जीवन में संतुलनता को कैसे बनाए रखना है सीखाता है । इस व्रत को करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में अर्थ और काम से ऊपर उठकर धर्म के मार्ग पर चलकर मोक्ष को प्राप्त करता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है। कोरोना महामारी के चलते घर में ही पूजन,स्नान एंव दान करें।
एकादशी व्रत पूजन विधि :-
एकादशी व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि से ही शुरु हो जाता है। दशमी तिथि को सात्विक भोजन ग्रहण कर अगले दिन एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और शुद्ध जल से स्नान के बाद सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें। इस दिन घर के मंदिर में श्रीगणेश जी,श्रीलक्ष्मीनारायण,भगवान श्रीराम जी,भगवान श्रीकृष्ण जी तथा देवों के देव महादेव की भी पूजा की जाती है,श्री लक्ष्मीनारायण जी की कथा एवं आरती अवश्य करें अथवा कथा पक्का सुने,एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है,इसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नज़रिए से भी बहुत महत्त्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की अराधना को समर्पित होता है। व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी के पावन दिन चावल एवं किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए ,इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं,इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है। इस दिन ब्राह्माणों एवं जरूरतमंद लोगों को स्वर्ण,भूमि,फल,वस्त्र ,मिष्ठानादि,अन्न दान,विद्या, दान दक्षिणा एवं गौदान आदि यथाशक्ति दान करें एवं अगर आपका स्वस्थ ठीक है तो ही व्रत करें नहीं तो मात्र पूजा पाठ दान करने से आपको इस व्रत का पूरा फल प्राप्त होगा।
महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) अध्यक्ष श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत) संपर्कसूत्र :-9858293195,7006711011,9796293195,ईमेल आईडी rohitshastri.shastri1@gmail.com