जया एकादशी व्रत 12 फरवरी शनिवार को : महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य।

जम्मू कश्मीर : माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत सन् 2022 ई.12 फरवरी शनिवार को है। एकादशी व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं,लेकिन जब तीन साल में एक बार अधिकमास (मलमास) आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।

माघ शुक्ल पक्ष जया एकादशी तिथि का आरंभ 11 फरवरी,शुक्रवार , दोपहर 01 बजकर 53 मिनट पर होगा और जया एकादशी तिथि 12 फरवरी, शनिवार शाम 04 बजकर 28 पर  समाप्त होगी। सूर्योदय व्यापिनी एकादशी तिथि 12 फरवरी शनिवार को है ऐसे में जया एकादशी का व्रत 12 फरवरी शनिवार को रखा जाएगा। जया एकादशी व्रत का पारण 13 फरवरी, रविवार, द्वादशी तिथि को प्रातः 07.11 से 09.20 तक कर सकते है। माघ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति नीच योनि, जैसे- भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है,जया एकादशी का व्रत इसलिए श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि इस दिन राजा हरिश्चंद्र ने व्रत रखकर सभी कठिनाइयों को अपने जीवन से दूर किया था,एकादशी के व्रत को करने से व्रती को अश्वमेघ यज्ञ,जप,तप,तीर्थों में स्नान-दान से भी कई गुना शुभफल मिलता है। एकादशी का व्रत करने वाले व्रती को अपने चित, इंद्रियों और व्यवहार पर संयम रखना आवश्यक है। एकादशी व्रत जीवन में संतुलनता को कैसे बनाए रखना है सीखाता है । इस व्रत को करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में अर्थ और काम से ऊपर उठकर धर्म के मार्ग पर चलकर मोक्ष को प्राप्त करता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है। कोरोना महामारी के चलते घर में ही पूजन,स्नान एंव दान करें।

इस दिन जो व्यक्ति दान करता है वह सभी पापों का नाश करते हुए परमपद प्राप्त करता है। इस दिन ब्राह्माणों एवं जरूरतमंद लोगों को स्वर्ण,भूमि,फल,वस्त्र ,मिष्ठानादि,अन्न दान,विद्या, दान दक्षिणा एवं गौदान आदि यथाशक्ति दान करें।

इस दिन श्रीगणेश जी,श्रीलक्ष्मीनारायण,भगवान श्रीकृष्ण जी तथा देवों के देव महादेव की भी पूजा की जाती है,श्री लक्ष्मीनारायण जी की कथा एवं आरती अवश्य करें अथवा कथा पक्का सुने,एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है,इसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नज़रिए से भी बहुत महत्त्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की अराधना को समर्पित होता है।व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। जो मनुष्य इस दिन भगवान श्रीलक्ष्मीनारायण जी की पूजा करता है उसको वैकुंठ की प्राप्ति अवश्य होती है।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी के पावन दिन चावल एवं किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए ,इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं,इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है।

महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) अध्यक्ष श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत) संपर्कसूत्र :-9858293195,7006711011,9796293195,ईमेल आईडी rohitshastri.shastri1@gmail.com

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