ओम नमो आदेश गुरू को ओम अपर के या कट मेष खम्भ
प्रति प्रहलाद राखे पाताल राखे पॉव देवी जंघा राखे काली का मस्तक
राखे महादेवजी कोई या पिंड प्राण को छोडे छोड़े
तो देवदानव भूत प्रेत डाकिनी शाकिनी गंडा ताप तिजारी
जूड़ी एक पहरूदी पहरू सांझ को सवेरे को किया को कराया
को उलट वाही के पिंड परे इस पिंड की रक्षा क्ष्री नरसिंह जी करें शब्द सांचा पिंड कांचा फूरो मंत्र ईश्वरो वांचा ।।
विधि :———
सूर्य या चंद्रग्रहण के दिन 1100 बार जप कर लिया जाए और सिद्व करते समय भगवान विष्णु को भोग लगाएं ।इस मंत्र से 7 बार जल को मंत्र करके । जल को फूंक मारें और उस जल को रोगी को पिलादें ।उसके बाद रोगी ठीक हो जाता है। इसके अलावा मोर पंख से झाड़ सकते हैं।