बाबा कालीवीर के विशेष निर्देश पर, Rajja Sourav Singh Sarmal ji के पैनल की एक महत्वपूर्ण कलाकृति, जिसमें दुर्गरदेशादिपति कालीवीर का चित्रण किया गया है, जिसमें वो अपने चुने हुए दुर्गेश्वर को अपना दिव्य आशीर्वाद और एक पवित्र तलवार दे रहे हैं। साथ ही साथ एक आदेश भी दे रहे, यह आदेश डुग्गरदेश की पुन: स्थापना के अलावा और कुछ नहीं है।
पूर्ण आदेश कहता है कि दुर्गरदेश (डुग्गरदेश)और उसके संबद्ध क्षेत्रों की भूमि केवल उन जातीय जनजातियों की है जो यहां के स्वदेशी हैं; जिस पर केवल कालीवीर आधिपत्य की सराहना की जानी है। दुर्गरदेश का ध्वज धारण करके खड़े डोगरा योद्धा पूरी तरह से अपने दिव्य पिता कालीवीर को समर्पित हो गए हैं और खुले आसमान में स्वतंत्र रूप से उड़ने वाला बाज इन प्रबुद्ध डोगराओं की अजेय प्रवृत्ति का वर्णन कर रहा है। चारों ओर से हरा-भरा और गौरवपूर्ण पहाड़ डोगरा देश की मूल भावना की बात कर रहा है।
यह यहाँ कालीवीर का दिव्य संदेश है जो स्पष्ट रूप से कहता है कि उनके शुद्ध-रक्त वाले डोगरा जो उनके आदेश के प्रति सच्चे हैं (Kaliterics – द वारियर सन्स ऑफ कालीवीर) निश्चित रूप से उनकी जीत का जश्न मनाएंगे क्योंकि वह उनका नेतृत्व कर रहे हैं। दुर्गेश्वर अपने सच्चे डोगरा योद्धाओं के साथ उस काम को संभव कर देंगे जो कई लोगों को असंभव लगता है क्योंकि आदिशेष कालीवीर उनकी शक्ति है।
[आपके मोबाइल स्क्रीन के अनुरूप कलाकृति में लिखे शब्द:
डुग्गराधिपति कालीवीरा (बाएं)
दुर्गेश्वर (दाएं)]
जय कालीपुत्र ❤️