सतनमो आदेश।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी जल का लवण कमल का फूल।पंचतत्व का एक ही मूल।निपजिया धर्म तत्वसार।झेलो काल भैरव प्याला उतरो भवसागर से पार।कहे गुरु गोरक्ष नाथजी सुनो गोपीचन्द भृतहरि।काल भैरव प्याले की महिमा अपार।जिसको जाने चार जुगों से सारा संसार।प्याला प्याला महाप्याला।प्याला पिया महादेव औऱ गौरां पार्वती माता।वे दोनों है इक्कीस ब्रम्हाण्ड के भाग्य विधाता।यहीं प्याला पी सीता माई ने हनुमान जी को दीन्हां।काया को अमरत्व कर चारों युगों में विद्यमान रहने का वरदान दीन्हां।विश्वामित्र ऋषी से इसी प्याले को राजा हरिश्चन्द्र रानी तारा ने लिया।सत्य वचन के लिये अपना सब कुछ त्याग दिया।यहीं प्याला मर्यादा पुरूषोत्तम रामचन्द्र ने पिया।रावण कुम्भकर्ण सहित राक्षसों का नाश किया।इसी प्याले को नरोत्तम श्री कृष्ण ने ग्रहण कीन्हां।कंस को मार कर श्री मद्भागवत गीता का उपदेश अर्जुन को दीन्हां।यही प्याला राजा बलि ने सतगुरु की आज्ञा टाल पीन्हां।तीन पैर भूमी दान वामन भगवान को दीन्हां।प्याला पिया सरिया कुम्हारी माई।जिसने पर्दे पीछे बात छुपाई।प्याला पिया कुन्ती माई।पांचो पाण्डव ओर रानी द्रोपदी लिया बुलाई।पांचो मन में बात विचारी।जग में लिया बरताय।काजी वरजा सूरा।ब्रम्हा वरजी गाय।इस विधि काल भैरव प्याला पियें।प्याला हिलाया न हिले।प्याला चलाय न चलें।प्याला रहे अनठोंट।काल भैरव प्याला चलें पदमावती माई की ओट।पदमावती पदमावती पदम् शंखिनी।भखै मद अमृत वास।काल भैरव हाजिर हजूर खड़ा है।पदमावती देवी के साथ।बंम बंम बंम काल भैरव बटुक नाथ।इतना काल भैरव प्याला मन्त्र जाप सम्पूर्ण भया।मानसरोवर तीर्थ पर सिद्धासन बैठ कर श्री सदाशिव शम्भुजती गुरु गोरक्ष नाथ जी ने राजा गोपीचन्द राजा भृतहरि की कान में सुनाया।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश।