म्हालसा देवी


एक पौराणिक कथा के अनुसार म्हालसा, देवी पार्वती का अवतार है। इस किंवदंती के अनुसार, म्हालसा का जन्म नेवासा में एक लिंगायत व्यापारी टिम्मासेठ की बेटी के रूप में हुआ था। भगवान शिव के खंडोबा (मार्तंड भैरव) अवतार ने म्हालसा से विवाह किया। देवी शक्ति के इस रूप की महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और तेलंगाना में व्यापक रूप से पूजा की जाती है।
मणी और मल्ल नाम के दो राक्षसों ने देवों और लोगो को परेशान किया। भगवान शिव ने मार्तंड भैरव (खंडोबा) का रूप धारण किया। फिर उन्होंने म्हालसा देवी के साथ राक्षसों को परास्त किया।
म्हालसा देवी चतुर्भुज है। जिसमें उपर के दो हाथ में त्रिशूल, पानपात्र और नीचे हाथों में खडग, असुर का शीश पकड़ा है। खंडोबा के साथ म्हालसा को घोड़े पर सवार दिखाया जाता है जिसमे वह दो भुजाधारी भाले से असुर का वध करती हुई दिखाई गई है।
मन्दिरों में म्हालसा देवी ज्यादातर खंडोबा के साथ पत्नी रूप में पूजी जाती है। कुछ क्षेत्रों के मंदिर विशेष रूप से म्हालसा देवी को समर्पित हैं। वह भारत के पश्चिमी हिस्सों में हजारों परिवारों की कुलदेवी हैं।
एक कथा अनुसार शिव विष्णु के मोहिनी अवतार से मुग्ध थे। जब शिव पृथ्वी पर खंडोबा के रूप में अवतरित होगे, तब विष्णु ने शिवपत्नी बनने का वादा किया। महालसा नारायणी को भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार का एक रूप माना जाता है। इस रूप की मुख्य रूप से गोवा में पूजा की जाती है। किंतु महालसा नारायणी को शिव से जुड़ा नहीं माना जाता है।

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