हिन्दू धर्म में देवों के देव महादेव पुकारे जाने वाले भगवान शिव मूर्त या सगुण और अमूर्त या निर्गुण रूप में पूजे जाते हैं। ऐसा शास्त्रों में वर्णन आता है की शिव बिना उनकी शक्ती के शव हैं और शक्ति बिना शिव में शून्य है। भगवान शंकर और मूल शक्ति (देवी) के दस प्रमुख स्वरूपों के बारे में पुराणों में वर्णन मिलता है। वेदों के अनुसार शिव का एक नाम ‘रुद्र’ भी है। रुद्र का अर्थ है भयानक तथा दुख से मुक्ति दिलाने वाला। भगवान शंकर संहार के देवता हैं। साथ ही साथ शिव परम कल्याणकारी हैं। शास्त्रों के अनुसार शिव के दस रुद्रावतार व्यक्ति को सुख, समृद्धि, भोग, मोक्ष प्रदान करने वाले एवं व्यक्ति की दसों दिशाओं से रक्षा करने वाले हैंं।
- महाकालेश्वर रुद्रावतार: शिव के दस रुद्रावतारों में पहला अवतार महाकाल माने जाते हैं। महाकेश्वर का स्वरुप श्यामवर्णी है और ये काल के भी काल कहे जाते हैं। महाकालेश्वर अवतार की शक्ति महाविद्या महाकाली मानी जाती हैं। उज्जैन में महाकाल नाम से ज्योतिर्लिंग प्रख्यात है। उज्जैन तीर्थ के गढ़कालिका क्षेत्र में मां कालिका उपखंड शक्तिपीठ स्थित है। मूल महाकाली महाविद्या शक्तिपीठ पश्चिमबंगाल के कलकत्ता स्थित महाकाली मंदिर है।
- तारकेश्वर रुद्रावतार: शिव के दस रुद्रावतारों में दूसरा अवतार तारकेश्वर (तार) नाम से प्रचलित है। तारकेश्वर का स्वरुप तारे की भांति पीतांबर है अर्थात नीलम लिए हुए पीला। तारकेश्वर अवतार की शक्ति देवी तारा मानी जाती हैं। तारा पीठ पश्चिम बंगाल के वीरभूम में स्थित द्वारका नदी के पास महाश्मशान में स्थित है।
3.भुवनेश्वर रुद्रावतार: शिव के दस रुद्रावतारों में तीसरा रुद्रावतार है भुवनेश्वर अर्थात बाल भुवनेश। भुवनेश्वर का स्वरुप शीतल श्वे़त है। भुवनेश्वर अवतार की शक्ति को भुवनेश्वरी (बाला भुवनेशी) कहा जाता है। दस महाविद्या में से एक देवी भुवनेश्वरी की शक्तिपीठ उत्तराखंड में है।
- षोडेश्वर रुद्रावतार: शिव के दस रुद्रावतारों में चौथा अवतार है षोडेश्वर अर्थात षोडश श्रीविद्येश। षोडेश्वर का स्वरुप सोलह कलाओं वाला है। षोडेश्वर अवतार की शक्ति महाविद्या षोडशी श्रीविद्या को माना जाता है। ‘दस महा-विद्याओं’ में तीसरी महा-विद्या भगवती षोडशी है, अतः इन्हें तृतीया भी कहते हैं।
- भैरवनाथ रुद्रावतार: शिव के दस रुद्रावतारों में पांचवें रुद्रावतार भैरवनाथ अर्थात भैरव माने गए हैं। भैरवनाथ के 52 स्वरुप माने गए हैं तथा मूलतः भैरव तामसिक देव कहे जाते हैं और इन्हें दिशाओं का रक्षक माना जाता है। भैरवनाथ अवतार की शक्ति भैरवी मानी गई हैं। दशमहाविद्या की सारिणी में इस आदिशक्ति को त्रिपुर भैरवी गिरिजा भैरवी कहा गया है। शक्तिपीठों के वर्णन में जहां देवी के ओष्ठ गिरे थे उस स्थान को उज्जैन के शिप्रा नदी तट स्थित भैरव पर्वत पर मां भैरवी का शक्तिपीठ माना गया है।
- दमोदेश्वर रुद्रावतार: शिव के दस रुद्रावतारों में छठा अवतार दमोदेश्वर अर्थात छिन्नमस्तक नाम से प्रचलित है। इस अवतार की शक्ति देवी छिन्नमस्ता मानी जाती हैं। छिनमस्तिका मंदिर प्रख्यात तांत्रिक पीठ है। दस महाविधाओं में से एक छिन्नमस्तिका का विख्यात मंदिर चिंतपूर्णी नाम से भी प्रसिद्द है। शास्त्रों के अनुसार दामोदर-भैरवी नदी के संगम पर स्थित इस पीठ को शक्तिपीठ माना जाता है। दामोदर को शिव व भैरवी को शक्ति माना जाता है।
- धूमेश्वर रुद्रावतार: शिव के दस प्रमुख रुद्र अवतारों में सातवां अवतार धूमेश्वर अर्थात द्यूमवान नाम से प्रख्यात है। धूमेश्वर का स्वरुप धुम्रवर्ण अर्थात धुएं जैसा है। धूमेश्वर अवतार की महाविद्या को देवी धूमावती माना गया है। संपूर्ण भारत में धूमावती का एकमात्र मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ ‘पीताम्बरा पीठ’ के प्रांगण में स्थित है।
- बग्लेश्वर रुद्रावतार: शिव के दस प्रमुख रुद्र अवतारों में आठवां रुद्र अवतार बग्लेश्वर अर्थात बगलामुख नाम से प्रचलित है। बग्लेश्वर का स्वरुप पीला है। इस अवतार की महाविद्या को देवी बगलामुखी माना जाता है। दस महाविद्याओं में से एक बगलामुखी का सबसे प्रचलित मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित बगलामुखी मंदिर है।
- मतंगेश्वर रुद्रावतार: शिव के दस प्रमुख रुद्र अवतारों में नौवां अवतार मातंग है। मतंगेश्वर का स्वरुप हरा है। मतंगेश्वर अवतार की शक्ति को महाविद्या देवी मातंगी माना जाता है। देवी मातंगी सनातन धर्म में उच्छिष्ट चंडालिनी के रूप पूजी जाती है। देवी मातंगी का एकमात्र मंदिर मध्यप्रदेश में झाबुआ शहर में स्थित है। ये देवी ब्राह्मणों की कुल देवी भी कहलाई जाती है।
- कमलेश यां कमलेश्वर रुद्रावतार: शिव के दस प्रमुख रुद्र अवतारों में दसवां अवतार कमलेश यां कमलेश्वर नाम से प्रचलित है। कमलेश्वर का स्वरुप कमल की भांति अष्टदल कारी है अर्थात 64 कलाओं वाला है। इन्हें शिव का कमल स्वरुप भी कहा जाता है। कमलेश्वर अवतार की शक्ति को महाविद्या कमला माना जाता है।