केतकी के फूल का प्रयोग भोलेनाथ पर चढ़ाना पूरी तरह मना है क्योंकि केतकी ने शिव से झूठ बोला था। जाने क्या था वो झूठ और किसके लिए बोला गया था जिसने केतकी के फूल को शिव शंकर से कर दिया सदा के लिए दूर।
भगवान भोलेनाथ तो एकदम सीधे साधे हैं और उन पर कुछ भी चढ़ा दिया जाता है इसमें हर तरह के फूल भी शामिल हैं। इसके साथ ही शिव जी को खुश करने के लिए भांग-धतूरा भी खास तौर पर चढ़ाया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार शिव शंकर को सफेद रंग के फूल अधिक प्रिय है। इसके बावजूद हर सफेद फूल भगवान को नहीं चढ़ता। ऐसा ही फूल है केतकी का फूल उनको कभी भी समर्पित नहीं किया जाता है।
कहा जाता हैं कि केतकी के फूल को भगवान शिव ने अपनी पूजा से स्वंय त्याग दिया है। इसके पीछे एक खास कारण है। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रह्माजी और भगवान विष्णु में विवाद हो गया कि दोनों में कौन अधिक श्रेष्ट हैं। विवाद का फैसला भगवान शिव की माया से उत्पन्न एक ज्योतिर्लिंग से सामने आया।
शिव जी ने ब्रह्मा और विष्णु से कहा कि जो भी इस ज्योतिर्लिंग का आदि या अंत बता देगा, वही श्रेष्ट कहलाएगा। ब्रह्माजी ने ज्योतिर्लिंग के नीचे की ओर जाने का निर्णय लिया और उसका आरंभ खोजने चल पड़े और विष्णु जी अंत की तलाश में ऊपर की ओर चले। काफी देर बाद ब्रह्माजी ने देखा कि एक केतकी फूल भी उनके साथ नीचे आ रहा है।
ब्रह्माजी ने केतकी के फूल को झूठ बोलने के लिए तैयार किया और भगवान शिव के पास पहुंच गए। इसके बाद ब्रह्माजी ने दावा किया कि उन्हें ज्योतिर्लिंग कहां से उत्पन्न हुआ, यह पता चल गया है।
दूसरी ओर विष्णु जी ने कहा कि मैं ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं जान पाया हूं।
ब्रह्माजी ने अपनी बात को सच साबित करने के लिए केतकी के फूल से झूठी गवाही दिलवाई, लेकिन शिव जी को सच पता था। जहां झूठ बोलने के लिए उन्होंने ब्रह्माजी का एक सिर काट दिया, वहीं केतकी के फूल को अपनी पूजा से वर्जित कर दिया।