मंत्र

ॐ पर्व्रह्मा स्वरूपां च वेड गर्भां जगन्मयीम |
शरण्ये त्वामहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम || १ ||

कामाख्यां कामदां श्यामां कामरूपां मनोरमाम |
इश्वरीं त्वामहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम ||

त्रिनेत्रां हास्य संयुक्तां सर्वालंकार भूषिताम |
विजयां त्वामहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम || ३ ||

व्रह्मादिभिः स्तूयमानां सिद्ध गंधर्व सेविताम |
भवानीं त्वामहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम ||

निशुंभ शुंभ मथनीं महिषासुर घातिनीम |
दिव्यरुपामहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम || ५ ||

विंशत्यर्धभुजां देवीं शुद्ध कांचन सन्निभाम |
गौरी रुपामहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम ||

त्रिशूलं खडगं चक्रं च वाणं शक्तिं परश्वधम |
दधानां त्वामहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम || ७ ||

जगन्मयीं महाविद्यां सृष्टिसंहार कारिणीम |
सर्व दवमहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम ||

इदं तु कवचं पुण्यं महामंत्रं महाफलम |
यः पठेन्मानवो नित्य मस्मद्भक्ति समन्वितः |
धनधान्यं प्रयच्छामि सकृदावर्त्तनेन तु || ९ ||

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *