माता दुर्गा शेरावाली की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी कम है यह सभी महाविद्याओं का सार स्वरूप है और मूल प्रकृति है ब्रह्मा विष्णु महेश द्वारा स्तुति की गई है समस्त देवगण इनकी कृपा चाहते हैं |
माता दुर्गा ही महामाया महाविद्या महामोहा महा श्रुति है माता दुर्गा ने ही अनेकों रूप धारण करके देव और मनुष्यों का कल्याण किया है अनेक रूपों में अनेक प्रकार से इनकी स्तुति की गई है |
ऐं ह्वीं क्लीं चामुंडाए विच्चे
यहाँ ह्वीं में कहीं कहीं जो उच्चारण प्राप्त होते हैं वह ” ह्वीं ह्लीं और ह्रीं ” हैं यहां इसका उल्लेख इसलिए किया जा रहा है कि जिनके पास जिस प्रकार का मंत्र उच्चारण होता है वह उसी प्रकार को श्रेष्ठ साबित करते हुए विवाद का विषय बनाते हैं ऐसा करना उचित नहीं है इसकी शुद्धता के लिए शास्त्रों का अनुसरण करना चाहिए एवं सबसे महत्वपूर्ण है की भक्ति भाव से करें क्योंकि पूर्णरूपेण पूजा पूर्णरूपेण सही उच्चारण सभी के द्वारा संभव नहीं है और माता भगवती दुर्गा या जो भी देवी शक्तियां हैं वह भक्ति भाव की भूखी होती है और भक्ति भाव से ही कार्य सिद्ध करती हैं सिद्धि प्रदान करती हैं |
भगवती दुर्गा के मंत्रों के जप और पूजन से शत्रुओं का उच्चाटन होता है और साधक की मनोकामना पूर्ण होती है दुर्गति का नाश करनेवाली भगवती दुर्गा साधक की सभी प्रकार की दुर्गति का नाश करती है | इनका साधक निर्भय हो जाता है उस पर किसी भी प्रकार के अभिचार प्रयोग भी असर नहीं करते भगवती दुर्गा अपने भक्तों की सभी प्रकार से रक्षा और सहयोग करती है |
सर्वशक्ति एक रूप होते हुए 10 महाविद्या का उल्लेख मिलता है जहां महाविद्याओं के अलग-अलग उद्देश्य और कार्य भी बताए गए हैं इनमें साधक को अपने उद्देश्य के अनुसार ही साधना करना उचित होगा मूल में माता दुर्गा ही हैं अतः इन के मंत्र और सतनाम अष्टोत्तर शतनाम आदि का पाठ भी करें |
इस प्रकार से जप और साधना करने वाले साधक की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है और किसी भी प्रकार की बाधा उसके कार्य को पूर्ण होने से नहीं रोक सकती |
इस प्रकार विधि पूर्वक साधना करने से मारण मोहन वशीकरण उच्चाटन सभी कार्यों को आसानी से सिद्ध किया जा सकता है यहां स्पष्ट कर दें कि मारण और वशीकरण अभिचार प्रयोग हैं अतः इनका प्रयोग निजी स्वार्थ के लिए नहीं करना चाहिए वशीकरण का प्रयोग भी तब जब सद्उद्देश्य के लिए किया जा रहा हो तब ही उचित कहा जा सकता है |
यहां यह लिखना भी सर्वाधिक उचित होगा कि प्रायः पूजा तो लगभग सभी लोग करते हैं किंतु सफलता कुछ लोगों को ही प्राप्त हो पाती है इसका एकमात्र कारण है कि या तो उनके पास गुरु नहीं है या फिर उनको किसी से उचित मार्गदर्शन नहीं मिला है | सिद्ध साधक और सिद्ध गुरु सहजता से प्राप्त नहीं होते पुस्तकों से प्राप्त या किसी ज्ञानी जन से प्राप्त ज्ञान हमारे ज्ञान को तो बढ़ाएगा किंतु साधक से जो ज्ञान प्राप्त होगा वह सफलता सुनिश्चित करेगा |
🌹ओम दुं दुर्गाय नम:🌹
🙏जय माता दी🙏