बाबा गोरखनाथ की जय !!!
नाथ सम्प्रदाय के प्रवर्तक बाबा गोरखनाथ
भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं।

गोरक्ष अर्थात गऊ माता की रक्षा करने
वाले नाथ !!!

गोरखनाथ के अनुयायियों को नेपाल में
गोरखा कहा जाता है।

गोरक्षनाथ मन्दिर गोरखपुर के महंत
नेपाल राज परिवार के राज गुरु होते हैं।

💐#रामपंथ -के मूल प्रवर्तक भगवान्
श्रीरामचन्द्र माने गये हैं।
इनका प्रधान पीठ उत्तर-प्रदेश का गोरखपुर
स्थान है।

~ नाथ सम्प्रदाय के बारह पंथ ~

नाथ सम्प्रदाय के अनुयायी मुख्यतः बारह
शाखाओं में विभक्त हैं,जिसे बारह पंथ कहते हैं।

इन बारह पंथों के कारण नाथ सम्प्रदाय को
‘बारह-पंथी’ योगी भी कहा जाता है।

प्रत्येक पंथ का एक-एक विशेष स्थान है,
जिसे नाथ लोग अपना पुण्य क्षेत्र मानते हैं।

प्रत्येक पंथ एक पौराणिक देवता अथवा
सिद्ध योगी को अपना आदि प्रवर्तक मानता है।

नाथ सम्प्रदाय के प्रमुख बारह पंथों का
संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है –

१. #सत्यनाथ_पंथ –
इसके मूल प्रवर्तक सत्यनाथ(भगवान् ब्रह्माजी) थे।
इसीलिये सत्यनाथी पंथ के अनुयाययियों को
“ब्रह्मा के योगी” भी कहते हैं।
इस पंथ का प्रधान पीठ उड़ीसा प्रदेश का पाताल
भुवनेश्वर स्थान है।

२. #धर्मनाथ_पंथ –
इस पंथ के मूल प्रवर्तक धर्मराज युधिष्ठिर माने
जाते हैं।
धर्मनाथ पंथ का मुख्य पीठ नेपाल राष्ट्र का
दुल्लुदेलक स्थान है।
भारत में इसका पीठ कच्छ प्रदेश धिनोधर
स्थान पर हैं।

३. #रामपंथ –
इस पंथ के मूल प्रवर्तक भगवान् श्रीरामचन्द्र
माने गये हैं।
इनका प्रधान पीठ उत्तर-प्रदेश का गोरखपुर
स्थान है।

४. #नाटेश्वरी_पंथ अथवा लक्ष्मणनाथ पंथ –
इस पंथ के मूल प्रवर्तक लक्ष्मणजी माने जाते हैं।
इस पंथ का मुख्य पीठ पंजाब प्रांत का
गोरखटिल्ला (झेलम) स्थान है।
इस पंथ का सम्बन्ध दरियानाथ व तुलनाथ पंथ
से भी बताया जाता है।

५. #कंथड़_पंथ –
कंथड़ पंथ के मूल प्रवर्तक गणेशजी कहे गये हैं।
इसका प्रधान पीठ कच्छ प्रदेश का मानफरा
स्थान है।

६. #कपिलानी_पंथ –
इस पंथ को गढ़वाल के राजा अजयपाल ने
चलाया था।
इस पंथ के प्रधान प्रवर्तक कपिल मुनिजी बताये
गये हैं।
कपिलानी पंथ का प्रधान पीठ बंगाल प्रदेश का
गंगासागर स्थान है।
कलकत्ते (कोलकाता) के पास दमदम गोरखवंशी
भी इनका एक मुख्य पीठ है।

७. #वैराग्यपंथ –
इस पंथ के मूल प्रवर्तक भर्तृहरिजी हैं।
वैराग्य पंथ का प्रधान पीठ राजस्थान प्रदेश के
नागौर में राताढुंढा स्थान है।
इस पंथ का सम्बन्ध भोतंगनाथी पंथ से बताया
जाता है।

८. #माननाथ_पंथ –
इनकी संख्या १० है।
इस पंथ के मूल प्रवर्तक राजा गोपीचन्द्रजी
माने गये हैं।
इस समय माननाथ पंथ का पीठ राजस्थान
प्रदेश का जोधपुर महा-मन्दिर नामक स्थान
बताया गया है।

९. #आई_पंथ –
इस पंथ की मूल प्रवर्तिका गुरु गोरखनाथ की
शिष्या भगवती विमला देवी हैं।
आई पंथ का मुख्य पीठ बंगाल प्रदेश (बांग्लादेश)
के दिनाजपुर जिले में जोगी गुफा या गोरखकुई
नामक स्थान हैं।
इनका एक पीठ हरिद्वार में भी बताया जाता है।
इस पंथ का सम्बन्ध घोड़ा चौली से भी समझा
जाता है।

१०. #पागल_पंथ –
इस पंथ के मूल प्रवर्तक श्री चौरंगीनाथ थे।
जो पूरन भगत के नाम से भी प्रसिद्ध हैं।
इसका मुख्य पीठ पंजाब-हरियाणा का अबोहर
स्थान है।

११. #ध्वजनाथ_पंथ –
इस पंथ के मूल प्रवर्तक हनुमानजी माने जाते हैं।
इसका प्रधान पीठ मगरा-क्षेत्र में मकरध्वज
हनुमान स्थान है।

१२. #गंगानाथ_पंथ –
इस पंथ के मूल प्रवर्तक श्री भीष्म पितामह माने
जाते हैं।
इसका मुख्य पीठ पंजाब में गुरुदासपुर जिले
का जखबार स्थान है।

कालान्तर में नाथ सम्प्रदाय के इन बारह पंथों
में छह पंथ और जुड़े – १. रावल (संख्या-७१),
२. पंक (पंख),३.वन,४. कंठर पंथी,
५.गोपाल पंथ तथा ६. हेठ नाथी।

इस प्रकार कुल बारह-अठारह पंथ कहलाते हैं ।

बाद में अनेक पंथ जुड़ते गये।
ये सभी बारह-अठारह पंथों की उपशाखायें
अथवा उप-पंथ है ।

कुछ के नाम इस प्रकार हैं –
अर्द्धनारी,अमरनाथ,अमापंथी,उदयनाथी,
कायिकनाथी,काममज,काषाय,गैनीनाथ,
चर्पटनाथी,तारकनाथी,निरंजन नाथी,नायरी,
पायलनाथी,पाव पंथ,फिल नाथी,भृंगनाथी आदि….

~ यौगिक साहित्य में प्रसिद्ध ८४ सिद्ध नाथ~

जोधपुर,चीन इत्यादि के चौरासी सिद्धों में
भिन्नता है ।
अस्तु,यहाँ यौगिक साहित्य में प्रसिद्ध ८४ नाथ
सिद्ध इस प्रकार हैं –

१. सिद्ध चर्पतनाथ,२. कपिलनाथ,३.गंगानाथ,
४.विचारनाथ,५.जालंधरनाथ,६.श्रंगारिपाद,
७.लोहिपाद,८.पुण्यपाद,९.कनकाई,
१०.तुषकाई,११.कृष्णपाद,१२.गोविन्द नाथ,
१३.बालगुंदाई,१४.वीरवंकनाथ,१५.सारंगनाथ,
१६.बुद्धनाथ,१७.विभाण्डनाथ,१८.वनखंडिनाथ,
१९.मण्डपनाथ,२०.भग्नभांडनाथ,२१.धूर्मनाथ,
२२.गिरिवरनाथ,२३.सरस्वतीनाथ,२४.प्रभुनाथ,
२५.पिप्पलनाथ,२६.रत्ननाथ,२७.संसारनाथ,
२८.भगवन्त नाथ,२९.उपन्तनाथ,३०.चन्दननाथ,
३१.तारानाथ,३२.खार्पूनाथ,३३.खोचरनाथ,
३४.छायानाथ,३५.शरभनाथ,३६.नागार्जुननाथ,
३७.सिद्ध गोरिया,३८.मनोमहेशनाथ,३९.श्रवणनाथ, ४०.बालकनाथ,.४१.शुद्धनाथ,४२.कायानाथ,
४३.भावनाथ,४४.पाणिनाथ,४५.वीरनाथ,
४६.सवाइनाथ,४७.तुक नाथ,४८.ब्रह्मनाथ,
४९.शील नाथ,५०.शिव नाथ,५१.ज्वालानाथ,
५२.नागनाथ,५३.गम्भीरनाथ,५४.सुन्दरनाथ,
५५.अमृतनाथ,५६.चिड़ियानाथ,५७.गेलारावल,
५८.जोगरावल,५९.जगमरावल,६०.पूर्णमल्लनाथ, ६१.विमलनाथ,६२.मल्लिकानाथ,६३.मल्लिनाथ
६४.रामनाथ,६५.आम्रनाथ,६६.गहिनीनाथ,
६७.ज्ञाननाथ,६८.मुक्तानाथ,६९.विरुपाक्षनाथ,
७०.रेवणनाथ,७१.अडबंगनाथ,७२.धीरजनाथ,
७३.घोड़ीचोली,७४.पृथ्वीनाथ,७५.हंसनाथ,
७६.गैबीनाथ,७७.मंजुनाथ,७८.सनकनाथ,
७९.सनन्दननाथ,८०.सनातननाथ,८१.सनत्कुमारनाथ, ८२.नारदनाथ,८३.नचिकेता,८४.कूर्मनाथ ।

उपरोक्त समस्त सिद्ध नाथों की मूर्तियां स्मृति
स्वरुप गोरक्षनाथ मन्दिर में विद्यमान हैं।

साभारसंकलित;💐

समस्त चराचर प्राणियों एवं सकल विश्व का
कल्याण करो बाबा गोरक्षनाथ !!!

जयति पुण्य सनातन संस्कृति💐
जयति पुण्य भूमि भारत💐
जयतु जयतु हिंदूराष्ट्रं💐

सदा सर्वदा सुमंगल💐
बाबा गोरखनाथ की जय💐
हर हर महादेव💐
जय भवानी💐
जय श्री राम💐

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