आखिर क्यों नहीं सुनी मां पार्वती ने शनि देव की बात ?

ब्रह्मवैवर्तपुराण वेदमार्ग का 10वां पुराण है। यह वैष्ण्व पुराण के अंतर्गत आता है और विष्णु को मानने वाले इसी का अनुसरण करते हैं। यह श्रीगणेश को श्रीविष्णु का अवतार बताता है। इसी प्रकार इसमें गणेश के जन्मोत्सव पर शनिदेव की क्रूर दृष्टि पड़ने के कारण गणेश का सिर धड़ से अलग हो जाना बताया गया है।

इसके अनुसार माता पार्वती ने पुत्र प्राप्ति के लिए ‘पुण्यक’ नामक व्रत किया था और उनकी ये इच्छा पूरी करने के लिए भगवान विष्णु ने बालक रूप में उनकी कोख से जन्म लिया।

कथा के अनुसार इसे जानकर पूरा देवलोक भगवान शिव और पार्वती को बधाई देने और बालक को आशीर्वाद देने शिवलोक पधारे। इसके उपलक्ष्य में वहां उत्सव का आयोजन हुआ।

अंत में सभी बालक गणेश से मिकलर और उसे आशीर्वाद देकर जाने लगे। वहां उपस्थित देवों में शनिदेव भी एक थे, लेकिन वो बालक से मिले बिना ही जा रहे थे।

पार्वती ने इसपर शनिदेव को टोका और ध्यान दिलाया कि वो तो बालक से मिले ही नहीं। इसपर मिले शनिदेव के उत्तर से पार्वती रुष्ट हो गईं।

शनिदेव को अपनी पत्नी का श्राप था कि वो जिस किसी को भी देखेंगे, वह खत्म हो जाएगा। इसलिए वो हमेशा नजर नीचे कर चला करते थे। इस उत्सव पर भी इसीलिए वो बालक गणेश से नहीं मिले और मां पार्वती के इस ओर इशारा करने के बाद भी उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया, जो पार्वती को अपने पुत्र का अपमान लगा और वो रुष्ट हो गईं।

पार्वती के यह कहने पर कि उन्होंने गणेश को देखा नहीं और उससे बिना मिले ही जा रहे हैं, शनिदेव ने कहा कि वो बालक को ना देखें और उससे ना मिलें, तो ही उसके लिए अच्छा है। अगर उन्होंने बालक को देखा तो उसका अमंगल होगा।

पार्वती को श्राप की यह कहानी पता नहीं थी और उन्हें लगा कि शनि उनके पुत्र का अपमान कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने शनि से कहा कि सबकुछ ठीक होगा, उनके देखने पर कुछ अमंगल नहीं होगा।

इनकार की अवस्था में पार्वती का रुष्ट भाव समझकर शनिदेव ने बालक को देख लिया। लेकिन शनि-दृष्टि पड़ते ही नवजात बालक का सिर धड़ से अलग हो गया। माता पार्वती अपने बालक की यह दशा देख मूर्छित हो गईं।

तब माता पार्वती को इस आघात से बाहर निकालने के मकसद से भगवान विष्णु अपने वाहन गरुड़ पर सवार हो बालक के लिए सिर की खोज में निकले और गज यानि हाथी का सिर लेकर आए। उसे बालक के सिर पर लगाकर उसके प्राण वापस किए। इस कारण गणेश को गजानन भी कहा जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *