ऐसा माना जाता है कि यदि आप इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, तो आप उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, और आपके जीवन में धन की कोई कमी नहीं होगी। इस शुभ दिन भक्तगण शरद पूर्णिमा व्रत का पालन करते हैं और समृद्धि और धन के देवता देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
शरद पूर्णिमा व्रत कथा :-
पौराणिक मान्यता के अनुसार एक साहुकार की दो बेटियां थीं. वैसे तो दोनों बेटियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं, लेकिन छोटी बेटी व्रत अधूरा करती थी. इसका परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी. उसने पंडितों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया, ”तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थीं, जिसके कारण तुम्हारी संतानें पैदा होते ही मर जाती हैं. पूर्णिमा का व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतानें जीवित रह सकती हैं.”
उसने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया. बाद में उसे एक लड़का पैदा हुआ, जो कुछ दिनों बाद ही मर गया. उसने लड़के को एक पीढ़े पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढक दिया. फिर बड़ी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया. बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी तो उसका घाघरा बच्चे का छू गया. बच्चा घाघरा छूते ही रोने लगा. तब बड़ी बहन ने कहा, “तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी. मेरे बैठने से यह मर जाता.” तब छोटी बहन बोली, “यह तो पहले से मरा हुआ था. तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है. तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है.”
उसके बाद यह व्रत विधि पूर्वक किया जाने लगा….