हर साल पितृपक्ष पर पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है. इन दिनों में पिंडदान, तर्पण, हवन ,ब्राह्मणों को भोजन, नए कपड़े, फल, मिठाई, गरीबों को खाना खिलाना भी जरूरी है. ये सप्ताह पितरों को समर्पित होते हैं.
ऐसी मान्यता है कि जो लोग पितृ पक्ष में पूर्वजों का तर्पण नहीं कराते, उन्हें पितृदोष लगता है. श्राद्ध के बाद ही पितृदोष से मुक्ति मिलती है. श्राद्ध से पितरों को शांति मिलती हैं. वे प्रसन्न रहते हैं और उनका आशीर्वाद परिवार को प्राप्त होता है.
पितृ पक्ष की शुरूआत 1 सितंबर से होने जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी की तिथि से पितृ पक्ष आरंभ हो रे हैं. इस दिन चतुर्दशी की तिथि प्रात: 9 बजकर 38 मिनट पर समाप्त हो रही है. इसके बाद पूर्णिमा की तिथि शुरु हो जाएगी, जिसे पूर्णिमा श्राद्ध भी कहा जाता है.
इस साल पितृपक्ष 1 सितंबर से शुरू हो रहे हैं. अंतिम श्राद्ध यानी अमावस्या श्राद्ध 17 सितंबर को होगा.
पहला श्राद्ध (पूर्णिमा श्राद्ध) -1 सितंबर 2020
दूसरा श्राद्ध -2 सितंबर
तीसरा श्राद्ध -3 सितंबर
चौथा श्राद्ध -4 सितंबर
पांचवा श्राद्ध -5 सितंबर
छठा श्राद्ध -6 सितंबर
सांतवा श्राद्ध -7 सितंबर
आंठवा श्राद्ध -8 सितंबर
नवां श्राद्ध -9 सितंबर
दसवां श्राद्ध -10 सितंबर
ग्यारहवां श्राद्ध -11 सितंबर
बारहवां श्राद्ध -12 सितंबर
तेरहवां श्राद्ध -13 सितंबर
चौदहवां श्राद्ध -14 सितंबर
पंद्रहवां श्राद्ध -15 सितंबर
सौलवां श्राद्ध -16 सितंबर
सत्रहवां श्राद्ध -17 सितंबर (सर्वपितृ अमावस्या)