तंजोर मंदिर के शीर्ष पर टोपी के पत्थर का वजन वजन 80 टन है।
इस मंदिर की परछाईं ज़मीन पर नहीं पड़ती,,,
कैप स्टोन के बारे में मुख्य उद्गार यह है कि तंजौर मंदिर के निर्माणकर्ता कैसे आए और तंजौर मंदिर में गोपुरम के शीर्ष पर टोपी का पत्थर रखने में सक्षम कैसे हुए??
इन कार्यों को करने के लिए उन दिनों में कोई क्रैन या कोई चीज का उच्च उपयोग नहीं किया गया था। केवल एक चीज जो हाथियों की मदद ले सकते थे।
तंजौर बड़े मंदिर की विशाल टोपी इस तरहसे बनाई गई है कि तंजौर के मंदिर गोपुरम का मैदान जमीन पर नहीं गिरेगा। यह बस अपने जगह पर ही गिर सकती है।
इस विशेष योजना और निर्माण के प्रकार के बारे में ज्ञान होना एक आसान काम नहीं है …।
मैं इसी लिए कहता रहता हूं दुनिया जब नंगी पेड़ पत्ते लपेट कर रहती थी ओर जानवर मारकर खाती थी तब हमारे पास परमात्मा की वाणी वेद थे और आधुनिक इंजीनियर तो कल बने है पर सनातन के कला कौशल ने सदियो पहले भव्य भारत का निर्माण कर दिया था ,गर्व करो कि हम सनातनी है और इस भारत भूमि पर जन्मे है।
जय हिन्दुत्व।।