आश्विन मास के कृष्ण पक्ष का यह समय पितरों के प्रति सच्ची श्रद्धा व्यक्त करने का पखवाड़ा यानी श्राद्ध पक्ष है। इन दिनों लगभग सभी घरों में पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होकर अपनी संतान सुखी और समृद्ध होने का आशीर्वाद देती है। मान्यता है कि पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी यह समय सर्वथा उपयोगी माना जाता है। आइए आपको बताते हैं क्या है पितृ दोष, क्या हैं इसके लक्षण और कारण
क्या है पितृ दोष
अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका विधि विधान से अंतिम संस्कार न किया गया हो, या फिर किसी की अकाल मृत्यु हो जाए तो उस व्यक्ति से जुड़े परिवार के लोगों को कई पीढ़ियों तक पितृ दोष का दंश झेलना पड़ता है। इसके साथ ही पितृ दोष के अशुभ प्रभाव से बचे रहने के लिए जीवन भर उपाय करने पड़ते हैं।
पितृ दोष के लक्षण
पितृ दोष होने पर व्यक्ति के जीवन में संतान का सुख नहीं मिल पाता है। अगर मिलता भी है तो कई बार संतान विकलांग होती है, मंदबुद्धि होती है या फिर चरित्रहीन होती है या फिर कई बार बच्चे की पैदा होते ही मृत्यु हो जाती है।
नौकरी और व्यवसाय में मेहनत करने के बावजूद भी हानि होती रहे।
परिवार में अक्सर कलह बने रहना या फिर एकता न होना। परिवार में शांति का अभाव।
परिवार में किसी न किसी व्यक्ति का सदैव अस्वस्थ बने रहना। इलाज करवाने के बाद भी ठीक न हो पाना।
परिवार में विवाह योग्य लोगों का विवाह न हो पाना। या फिर विवाह होने के बाद तलाक हो जाना या फिर अलगाव रहना।
पितृदोष होने पर अपनों से ही अक्सर धोखा मिलता है।
पितृदोष होने पर व्यक्ति बार-बार दुर्घटना का शिकार होता है। उसके जीवन में होने वाले मांगलिक कार्यों में बाधाएं आती हैं।
परिवार के सदस्यों पर अक्सर किसी प्रेत बाधा का प्रभाव बने रहना। घर में अक्सर तनाव और क्लेश रहना।
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इस वजह से होता है पितृदोष
पितरों का विधिवत अंतिम संस्कार और श्राद्ध न होना।
पितरों की विस्मृति या अपमान करना।
धर्म के विरुद्ध आचरण करना।
पीपल, नीम और बरगद के पेड़ को कटवाना।
नाग की हत्या करना या फिर किसी से करवाना यां और भी कई कारण हो सकते हैं।