यमपूजाऔर दीपदान

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्‍ण, यमदेव और माता काली की पूजा होती है। परंतु इस दिन दक्षिण भारत में वामन पूजा होती है। इस बार नरक चतुर्दशी का पर्व 3 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा।
प्रचलित मान्यता के अनुसार इस दिन दक्षिण भारत में वामन पूजा होती है। कहते हैं कि इस दिन राजा बलि (महाबली) को भगवान विष्णु ने वामन अवतार में हर साल उनके यहां पहुंचने का आशीर्वाद दिया था। इसी कारण से वामन पूजा की जाती है।
इसकी कथा इस प्रकार है कि जब दो पग में भगवान वामन ने संपूर्ण त्रैलोक्य नाप लिया तो उन्होंने राजा बलि से कहा कि अब मैं अपना तीसरा पग कहां रखूं तो राजा बलि ने कहा कि प्रभु अब तो मेरा सिर ही बचता है। यह सुनकर भगवान प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा कि वर मांगों।
तब अनुसरराज बलि बोले, हे भगवन! आपने कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से लेकर अमावस्या की अवधि में मेरी संपूर्ण पृथ्वी नाप ली है, इसलिए जो व्यक्ति मेरे राज्य में चतुर्दशी के दिन यमराज के निमित्त दीपदान करेगा, उसे यम यातना नहीं होनी चाहिए और जो व्यक्ति इन तीन दिनों में दीपावली का पर्व मनाए, उनके घर को लक्ष्मीजी कभी न छोड़ें। ऐसे वरदान दीजिए।
यह प्रार्थना सुनकर भगवान वामन बोले- राजन! ऐसा ही होगा, तथास्तु। भगवान वामन द्वारा राजा बलि को दिए इस वरदान के बाद से ही नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के निमित्त व्रत, पूजन और दीपदान का प्रचलन आरंभ हुआ।
इसी दिन यम की पूजा करने के बाद शाम को दहलीज पर उनके निमित्त दीप जलाएं जाते हैं जिससे अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस दिन सूर्यास्त के पश्चात लोग अपने घरों के दरवाजों पर 14 दीये जलाकर दक्षिण दिशा में उनका मुख करके रखते हैं तथा पूजा-पाठ करते हैं। इस दिन 14 दीपक प्रज्वलित करते से सभी तरह के बंधन, भय और दरिद्रता से मुक्ति मिल जाती है। त्रयोदशी पर 13, चतुर्दशी पर 14 और अमावस्या पर 15 दीपक जलाने की परंपरा है।

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