अस्थि विसर्जन क्यों करते हैं गंगा में ?

सनानत धर्म में मां गंगा को मोक्ष दायिनी कहा गया है, स्कंद पुराण में बताया गया है कि, गंगा में स्नान करने मात्र से 10 तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और दैहिक, दैविक और भौतिक ताप भी दूर होता है।

माना जाता है कि, पृथ्वी के अलावा मां गंगा की दो अन्य धाराएं आकाशगंगा और पाताल में हैं। हमारी संस्कृति में कोई भी शुभ कार्य गंगा के पवित्र जल के बिना संभव नहीं हो पाता, बच्चे के मुंडन के बाल से लेकर मृत्यु के बाद मनुष्य की अस्थियों तक को गंगा में प्रवाहित किया जाता है, हिंदू समाज में अस्थि विसर्जन के लिए सबसे ज्यादा महत्व गंगा नदी का ही माना जाता है, आइए जानते हैं, अस्थियों को गंगा में ही क्यों प्रावहित करने की परंपरा क्यों है…

स्वर्ग की नदी है गंगा :–

हिंदू धर्म में मां गंगा को इसलिए सर्वोच्च माना गया है कि, क्योंकि मां गंगा श्रीहरि के चरणों से निकलीं थीं और भगवान शिव के जटाओं में वास करते हुए, पृथ्वी पर आई थीं। गरूड़ पुराण समेत कई ग्रंथों और वेदों में जिक्र मिलता है कि, गंगा देव नदी या स्वर्ग की नदी है। जिस व्यक्ति का निधन गंगा नदी में हो जाए, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वह सीधे भगवान विष्णु के पास बैकुंठ लोग में पहुंच जाता है।

स्वर्ग के खुलते हैं दरवाजे :—

हिंदुओं की धार्मिक मान्यता के अनुसार, अस्थियों को गंगा में प्रावहित करने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है तथा पतितपावनी मोक्ष दायिनी गंगा के पवित्र जल के स्पर्श से मृतक की आत्मा के लिए स्वर्ग के दरवाजे खुल जाते हैं। गंगा का निवास स्थान आज भी स्वर्ग माना गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि, गंगातट पर शरीर त्यागने वाले को यमदंड का सामना नहीं करना पड़ता।

आत्मा को मिलता है, नया मार्ग:—

शंख स्मृति एवं कर्म पुराण में भी अस्थियों को गंगा में विसर्जन करना ही शुभ माना गया है। मान्यता है कि, मां गंगा में अस्थियां डालने से इंसान के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उससे जुड़ी आत्मा को नया मार्ग मिलता है, हरिद्वार, प्रयाग आदि जगहों के गंगातट पर विधि विधान से अस्थियों का विसर्जन किया जाता है।

मां गंगा ने पूछा भगवान विष्णु से प्रश्न :–

एकदिन मां गंगा भगवान नारायण से मिलने के लिए बैकुंठ धाम गई थीं। तब उन्होंने श्रीहरि से पूछा हे प्रभु मेरे जल से स्नान करने पर सभी के पाप नष्ट हो जाते हैं, लेकिन मैं इतने पापों का बोझ कैसे उठाउंगी। तब भगवान नारायण ने कहा कि, आपके जल जो भी साधु, संत और वैष्णव आकर स्नान करेंगे, तब आपके अंदर समाए हुए सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। आप हमेशा के लिए पतित पावन बनी रहेंगी। पृथ्वी पर जो भी नदी में डुबकी लगाएगा उसको मोक्ष की प्राप्ति होगी।

यह है वैज्ञानिक आधार :—

वैज्ञानिक परीक्षणों से यह निष्कर्ष मिलता है कि, अस्थियों (हड्डियां) में कैल्शियम और फास्फोरस अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है, जो खाद रुप में भूमि को ऊपजाऊ बनाने में सहायक है। साथ ही यह जलीय जीवों के लिए एक पौष्टिक आहार है। गंगा हमारे देश की सबसे बड़ी नदी है, इसके जल से भूमि का बहुत बड़ा भाग सिंचित होता है। इसके जल की उर्वरा शक्ति क्षीण न हो, इसके बचाव के लिए अस्थियां प्रवाहित करने की परंपरा रखी गई है।

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