भगवान गुरु गोरक्षनाथ शक्ति का आधार:- भगवान गुरु गोरक्षनाथ को नाथ पंथ में मुख्य रूप से शिव गोरक्षनाथ के नाम से जाना जाता है। शिव गोरक्षनाथ का अर्थ है भगवान शिव ही भगवान गुरु गोरक्षनाथ स्वरुप धारण कर हर युग में पृथ्वी पर निवास करते हैं। धूनी रमाने वाले महायोगी के स्वरुप में उनकी सम्पूर्ण विश्व में ख्याति है। एक समय की बात है माता पार्वती ने भोलेनाथ को कहा, जहाँ जहाँ आप हो वहां वहां मैं हूँ और जहाँ जहाँ मैं हूँ वहां वहां आप हो। भगवान भोलेनाथ बोले, जहाँ जहाँ तुम हो वहां वहां मेरा होना आवश्यक है किन्तु जहाँ जहाँ मैं हूँ, वहां वहां तुम्हारा होना आवश्यक नहीं। यह सुनकर देवी पार्वती क्रोधित हो गयी और बोलीं मैं ही सम्पूर्ण सृष्टि में योगमाया के स्वरुप में व्याप्त हूँ। सृष्टि में कोई भी मेरी माया से नहीं बच सकता। उन्होंने कहा भोलेनाथ आप स्वयं भी मेरी माया में ही हो। यह सुनकर भगवान भोलेनाथ बोले, गौरां तुम्हे एक स्थान बताता हूँ उस स्थान पर जाओ। एक 12 वर्ष का महायोगी उस स्थान पर ध्यान में लींन है। अपनी माया से अगर तुम उसको विचलित कर दो तो मैं जान जाऊँगा की सम्पूर्ण सृष्टि तुम्हारी माया के अन्दर ही है। देवी पार्वती नव दुर्गा का स्वरुप धारण कर उस स्थान पर जा पहुंची। उन्होंने देखा एक बारह वर्ष का बालक योग ध्यान में लीन है। देवी पार्वती ने नव दुर्गा सहित अपनी सम्पूर्ण शक्ति लगा दी लेकिन वह बालक विचलित भी नहीं हुआ। बालक ने प्रेम पूर्वक माता को प्रणाम किया और उन्हें वहां से जाने के लिए कहा। किन्तु माता हट करने लगी की वह बालक उनकी कोई तो बात मान ले और संसार की कोई वस्तु स्वीकार कर। बालक ने क्रोध में आकर भयंकर योग अग्नि को प्रकट किया जिससे देवी पार्वती नव दुर्गा सहित जलने लगी। देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को रक्षा के लिए पुकारा। भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए और बालक ने योग अग्नि को शांत किया। देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ से पूछा कौन हैं यह बालक ? भगवान भोलेनाथ बोले मैं ही हूँ यह बालक। यह मेरा वह विरल स्वरुप है जिसमे मैं सम्पूर्ण सृष्टि का गुरु हूँ। भगवान भोलेनाथ बोले इस बालक का नाम गोरक्ष है।
बालक ने पूछा, देवी पार्वती कौन हो तुम ? और क्या है तुम्हारी शक्ति ?
पार्वती बोलीं, आज से सम्पूर्ण सृष्टि की हूँ माई। मुझको अपनी चेली बनाओ हे गोरक्ष राई।
गोरक्ष बोले, पहले अपनी शक्ति है दिखलाओ। तत्पश्चात ही मेरी शिष्या कहलाओ।
देवी पार्वती ने अपनी शक्ति दिखलायी। और दस महाविद्या संसार में है आई।
तो इस प्रकार सम्पूर्ण तंत्र का आधार कहलाने वाली दस महाविद्या संसार में आई जिनके नाम इस प्रकार हैं – कालिका, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी छिन्नमस्ता, धूमावती, बंगला, मातंगी और कमला। भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती को एक स्थान पर योग की शिक्षा दी। वही स्थान अमरनाथ गुफा के नाम से विश्व में प्रख्यात है।तत्पश्चात भगवान भोलेनाथ ही भगवान गुरु गोरक्षनाथ के स्वरुप में जगत माता के गुरु कहलाते हैं। महादेवी चामुण्डा (कालिका) भगवान गुरु गोरक्षनाथ की ही शिष्या हैं। माँ भगवती के 52 शक्ति पीठ पृथ्वी पर स्थापित हैं और भगवान गुरु गोरक्षनाथ ने अनेकों शक्ति पीठों पर अपनी लीलाएं दिखायीं हैं।